लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पीडियाट्रिक एंड प्रीवेंटिव डेंटिस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश कुमार चक का कहना है कि अगर बच्चे मंसूड़ों पर छाले होने की शिकायत करे आैर बच्चों के दांत में कीड़े लगे तो विशेषज्ञ से परामर्श लेकर इलाज कराना चाहिए। यह लापरवाही बीमारी का कारण हो सकती हैं।
डा. चक इंडियन डेंटल एसोसिएशन एवं सोसायटी फार कास्मिक डेंटल इंप्लांट एकेडमी द्वारा आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान केजीएमयू के प्रोफेसर अनिल चंद्रा को प्रोफेसर सीपी गोविला अवार्ड एवं प्रो. अजय सिंह को बीडी अहूजा अवार्ड से सम्मानित किया गया।
प्रो. चक ने बताया कि बच्चों के दांत में कीड़े लगने पर अभिभावक सोचते हैं कि दूध के दांत टूटने पर कीड़े भी निकल जाएंगे, लेकिन यह विचार गलत है कि नये दांत निकलने पर कीड़े दांत की जड़ में छुप जाते हैं, जो दोबारा दांत निकलने के बाद मंसूड़ों को नुकसान पहुंचाना शुरू करते हैं। देखा गया है कि बचपन में मंसूडों में कीड़े लगने का खामियाजा लंबे समय बाद भुगतना पड़ता है। कई बार मंसूड़ों के छाले की वजह से दांत टेढ़ें मेढ़े हो जाते हैं और वे मंसूड़ें का विकास रोक देते हैं। इससे दांत टूटने पर दोबारा इंप्लांट कराने वाले मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। रात में सोते समय बच्चों को ब्राश करने की आदत जरूर डलवानी चाहिए। शाम ब्राश करने से दांत का रखरखाव सही हो सकता है। इस दौरान डा. विक्रम अहूजा, डा. अभिषेक पांडेय, डा. सुधीर कपूर, डा. आरवी सिंह आदि मौजूद थे।
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