राजधानी के बाल महिला अस्पतालों में शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शुरु करने की योजना धराशायी हो गयी है। ऐसे में अब पैथालॉजी व डायग्नोस्टिक सुविधाओं को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत संचालन की योजना है। इसका प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग ने शासन को भेज दिया है। बताया जाता है कि दूसरे चरण में पीपीपी मॉडल के तहत डाक्टरों को भी तैनात किया जाने प्रस्ताव दिया जा सकता है।
राजधानी में कुल आठ बाल महिला अस्पताल है। इनमें ज्यादातर को शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में तब्दील करने की योजना थी। इसके तहत अल्ट्रासाउंड संचालन के लिए रेडियोलॉजिस्ट, फीजिशियन के पद लगातार विज्ञापन देने के बाद भी रिक्त जा रहे है।
पीपीपी मॉडल में मरीज से जांच शुल्क बहुत कम ही लिया जाएगा –
एनेस्थीसिया के डाक्टर तो कुछ स्थानों पर तैनात है। रेडियोलॉजिस्ट न होने से अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहा है। मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा सभी जगह आटोएनालाइजर से ब्लड की बायोकेमिस्ट्री जांच नहीं हो पा रही है। इन सब दिक्कतों का निदान करने के लिए एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग ने सुविधाओं को दुरस्त करने की तैयारी कर ली है। इसके तहत पीपीपी मॉडल पर सभी जांच कराने की तैयारी चल रही है। पीपीपी मॉडल में मरीज से जांच शुल्क बहुत कम ही लिया जाएगा। जैसे अल्ट्रासाउंड की जांच अगर 500 रुपये में होती है तो अस्पताल में कराने पर 250 रुपये ही लिये जाने का प्रस्ताव है। ऐसे में जहां पर रेडियोलॉजिस्ट नही है, वहां पर अल्ट्रासाउंड की जांच नियमित तौर पर हो सकेगी।
इसके अलावा पैथालॉजी में भी लैब टेक्नीशियनों की कमी को देखते हुए ही पीपीपी मॉडल के आधार पर जांच शुल्क लिया जाने की प्रस्ताव है। सीएमओ डा. जीएस बाजपेयी ने बताया कि पीपीपी मॉडल का प्रस्ताव दिया गया है। अगर यह लागू हो जाता है तो मरीज जांच बाहर से नहीं करायेगा। इसके साथ ही कम शुल्क में बेहतरीन जांच हो सकेगी। बताया जाता है कि अगर यह पीपीपी मॉडल योजना रन कर जाती है तो इसके अगले चरण में रिक्त स्थानों पर डाक्टरों को भी तैनात करने की योजना प्रस्ताव दिया जाएंगा।