अस्पतालों में एनेस्थीसिया जांच की हो उच्च स्तरीय व्यवस्था

0
1000
Photo Source: Medical News Today

लखनऊ  – सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में करीब 60 फीसदी जगह पर मरीज का ऑपरेशन से पहले प्री एनेस्थीसिया की जांच की व्यवस्था नहीं होती है। प्री एनेस्थीसिया चेकअप को पीएसी कहते हैं। पीएसी जांच न होने की वजह से ही मरीजों की परेशानी काफी बढ़ जाती है। यहां तक की मरीज की जान भी जा सकती है। पीएसी जांच करने से ही पता चलता है कि मरीज का शरीर कितने फीसदी एनेस्थीसिया की डोज को सह सकता है। इससे मरीज की कई अन्य बीमारियों का भी पता चल जाता है, जो कि जांच के दौरान उभर कर सामने आ जाती हैं। उसे देखते ही आगे की दवायें की जाती हैं। इसलिये अस्पतालों में एनेस्थीसिया की जांच के इंतजाम किये जाने चाहिये। यह जानकारी शुक्रवार को पीजीआई के एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. संदीप साहू ने दी। वह पीजीआई में आयोजित पीजी एनेस्थीसिया रिफ्रेशर कोर्स में बतौर आयोजक एमडी, डीएनबी व पीजी के छात्रों को जानकारी दे रहे थे।

Advertisement

सभी जगह लागू करें पीएसी जांच  –

कोर्स के दौरान सभी एमडी और डीएनबी छात्रों को प्रशिक्षण दिया गया। यहां पर विशेषज्ञों ने इन ट्रेनी डॉक्टरों से अपील की कि वह जिस भी अस्पताल जायें। वहां पर प्री एनेस्थेसिया जांच की व्यवस्था को जरूर से जरूर लागू करें। ट्रामा और प्रसव में इमरजेंसी होती है, ऐसे में प्री एनेस्थेसिया संभव नहीं है। अमूमन देखा गया है कि 10 फीसदी महिलाओं की स्थिति प्रसव के दौरान सर्जरी के लिये सही तैयारी न होने की वजह से काफी बिगड़ जाती है। सीटी, एमआरआई, एंजियोप्लास्टी के दौरान मरीज को इतनी मात्रा में दवा दे दी जाती है कि वह नींद में आ जाये, जिससे सही जांच संभव हो। कहा कि सर्जरी कराने से पहले अपने एनेस्थेसिस्ट के बारे में जरूर जाने तभी सर्जरी के पहले या बाद में सही केयर संभव होगा।

कम हो जाती है शरीर में पानी की मात्रा  –

पेरीआपरेटिव फ्लूड मैनेजमेंट पर पीजीआई के डॉ. सुजीत गौतम ने कहा कि सर्जरी के दौरान रक्तस्राव होता है, जिससे शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है। पानी की मात्रा कम होने पर किडनी खराब होने की आशंका रहती है। पानी अधिक होने पर फेफड़े में पानी भरने की आशंका रहती है। ऑपरेशन के दौरान शरीर में पानी की मात्रा नियंत्रित रखने के लिए पानी और रक्त के अव्यव को चढ़ाया जाता है, जिससे देखा संयमित सॉल्ट सॉल्यूशन आ जाता है। बताया कि हीमोग्लोबिन सात से कम हो, प्लेटलेट्स 50 हजार से कम हो, तभी खून के अव्यव चढ़ाने चाहिये।

दिल की बीमारी में जांच बहुत जरूरी –

पीजीआई के कार्डियक एनेस्थीसिया डॉ. प्रभात तिवारी ने दिल की बीमारी में एनेस्थीसिया की जांच बहुत जरूरी होती है। ऑपरेशन से पहले मरीज को फिट करने की जिम्मेदारी एनेस्थीसिया की ही होती है। ऑपरेशन के बाद मरीज को 24 घंटे आईसीयू में रखना चाहिए। आपरेशन के दौरान दिल की कार्यप्रणाणी बदल जाती है, जिसमें रक्तचाप कम या अधिक, हार्ट रेट कम या अधिक हो सकता है। ऐसे में इस पर नजर रखने के साथ इस पर नियंत्रण रखने के लिए सारे उपाय करने चाहिए। इस कोर्स से पूरे देश में एमडी कर रहे छात्रों को एक समान जानकारी मिलती है, क्योंकि हर संस्थान में अलग तरीके से पढ़ाई होती है।

Previous articleनाबालिग बेटी से किया दुराचार
Next articleहाइपोपैडियाज बीमारी की सफल सर्जरी कर डा. कुरील ने विश्वस्तर पर बनाया मुकाम

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here