लखनऊ। डा. राम मनोहर लोहिया अायुर्विज्ञा संस्थान में आंतरिक गुट बाजी में डॉक्टर पलायन कर रहे हैं। संस्थान को अब न्यूक्लीयर मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर ने अलविदा कर दिया है। इसके कारण मरीजों को जांच कराने में दिक्कतें आना शुरू हो गयी है।
संस्थान के न्यूक्लीयर मेडिसिन विभाग में तीन डॉक्टर तैनात थे। पिछले वर्ष डॉ. धनंजय सिंह संस्थान से पलायन कर गये थे। अब डॉ. शाश्वत वर्मा ने नौकरी छोड़ दी है। चर्चा है कि डॉ. शाश्वत ने नौकरी छोड़ने का कारण व्यक्तिगत है। डा. वर्मा ने निजी संस्थान में नौकरी ज्वाइन भी कर ली है। वर्तमान समय में विभाग की प्रमुख नियमित डॉ. सत्यवती देशवाल ही शेष बची हैं। एक डॉक्टर व रेजिडेंट के दम पर पूरा विभाग संचालित किया जा रहा है।
डॉ. शास्वत के जाने से विभाग में जांच के लिए मरीजों का वेंटिग बढ़ गयी है। विभाग में पेट स्कैन जांच के लिए प्रतिदिन लगभग दस से अधिक मरीज आते है। मरीज ज्यादा होने के कारण पहले ही दो महीने से अधिक की वेंटिग डेट दी जा रही है। रिनल स्कैन की जांच प्रतिदिन 25 से अधिक मरीजों की जा रही है। बोन स्कैन, आयोडीन थायराइड कैंसर की जांच का कार्य भी प्रभावित हो रहा है।
मरीजों को इलाज के बजाए वेंटिग डेट दी जा रही है। मजबूरन मरीज प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर से जांच कराने को मजबूर हैं। प्राइवेट सेंटर में न्यूक्लीयर मेडिसिन की जांचें काफी महंगी हैं। संस्थान में चर्चा है कि काफी संख्या में काम करने वाले डाक्टर आंतरिक गुटबाजी से परेशान हो रहे है। बताते है कि वर्चस्व की जंग में इलाज करने वाले डाक्टर संस्थान छोड़ना ही ठीक समझ रहे है। क्योंकि विशेषज्ञ डाक्टरों की प्राईवेट क्षेत्र के अस्पतालों में डिमांड बहुत है।
इससे पहले भी न्यूरो सर्जरी के डा. राकेश, आंकोलॉजी के डा. गौरव गुप्ता, गैस्ट्रो के डा. प्रशांत वर्मा, इंडोक्राइन की डा. रोमा के अलावा गैस्ट्रो से भी एक अन्य डाक्टर संस्थान छोड़ चुके है।