वायु प्रदूषण के कारण मानव मस्तिष्क में दाखिल होने वाले विषैले कणों का पता लगा

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लंदन – पहली बार वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण के कारण सामने आने वाले छोटे चुंबकीय कणों के मानव मस्तिष्क में मौजूद होने का पता लगाया है । मानव मस्तिष्क में दाखिल होने वाले ये कण अल्झाइमर रोग का संभावित कारण हो सकते हैं । ब्रिटेन की लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मेक्सिको सिटी और मैनचेस्टर में रहने वाले तीन साल से लेकर 92 साल की उम्र तक के 37 लोगों के मस्तिष्क उत्तक में पर्याप्त मात्रा में मैग्नेटाइट नैनो पार्टिकल यानी सूक्ष्म-कण पाए।

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यह बेहद चुंबकीय खनिज विषैला होता है । इसे मानव मस्तिष्क में प्रतिक्रियात्मक ऑक्सीजन वर्गों फ्री रैडिकल के उत्पादन में शामिल किया गया है । यह अल्जाइमर सहित मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाली न्यूरोडिजेनरेटिव बीमारियों से जुड़ा हुआ है ।
लैंकेस्टर एन्वायरॉमेंट सेंटर की प्रोफेसर बारबरा महेर ने मैग्नेटाइट के तौर पर इन कणों की पहचान के लिए स्पेक्ट्रोस्कोपिक विश्लेषण किया।

नुकीले मैग्नेटाइट कणों के बारे में माना जाता है कि मस्तिष्क के भीतर उनका निर्माण प्राकृतिक तौर पर होता है । लेकिन इस बार पाए गए कण गोलाकार हैं । इनकी चौड़ाई 150 नैनोमीटर तक है । इनमें से कुछ की सतहें पिघली हुई हैं । इससे पता चलता है कि वाहनों के इंजन या खुले में जल रही आग के उच्च-तापमान में इनका निर्माण हुआ है ।

प्लेटिनम, निकेल और कोबाल्ट जैसे धातू शामिल होते हैं इन कणों में –

गोलाकार कणों के साथ अक्सर सूक्ष्म कण मौजूद होते हैं जिसमें प्लेटिनम, निकेल और कोबाल्ट जैसे धातु शामिल होते हैं । महेर ने बताया, ”हमने जिन कणों का पता लगाया है, वे उन मैग्नेटाइट नैनोस्फेयरों से काफी मिलते-जुलते हैं जो शहरी इलाकों, खासकर व्यस्त सड़कों के आसपास व्याप्त वायु प्रदूषण में पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं । इनका निर्माण वाहनों के इंजन या खुले में जल रही आग के उच्च-तापमान से होता है ।

मैग्नेटाइट सूक्ष्म कणों के अन्य स्रोतों में ठीक तरीके से सील नहीं किए गए स्टोव भी शामिल हैंं । 200 नैनोमीटर से छोटे कण वायु प्रदूषण वाले इलाकों में नाक के जरिए सांस लेने पर श्वसन नली से सीधा मस्तिष्क में प्रवेश कर जाते हैं ।
(भाषा)

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