एडंवास तकनीक से 5 वें हफ्ते भी जांच आसान

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लखनऊ। जब गर्भ में भ्रूण मात्र पांच सप्ताह का विकसित होता है, तभी उसकी जांच की जा सकती है। जबकि इस दौरान भ्रूण की ग्रोथ एक या दो मिलीमीटर से ज्यादा नहीं होती। यह अत्याधुनिक एडवांस ट्रांस एब्डॉमिनल और ट्राब्स वेजाइनल अल्ट्रासॉउन्ड तकनीक से ही किया जा सकता है। यह जानकारी शुक्रवार को लॉस एंजलिस से आईं डॉ. अपर्णा श्रीधर ने कांशीराम स्मृति उपवन में चल रहे 63वें ऑल इंडिया आब्सटेट्रिक्स एंड गाइनोकोलॉजी (एआईसीओजी 2020) के तीसरे दिन हैंड जोन सिमुलेटर कार्यशाला में दी। कार्यशाला में डॉ. प्रीती कुमार ने बताया कि एआईसीओजी में यह कार्यशाला पहली बार आयोजित हुई है। इसमें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों द्वारा 50 प्रतिभागियों को ट्रेनिंग दी गई।

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डा. श्रीधर ने बताया कि इन दोनों ही जांचों में गर्भ में पल रहे शिशु को होने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी मिल जाती है। इसकी विशेषता यह होती है कि शिशु जब गर्भ में मात्र पांच सप्ताह का होता है तभी उसकी जांच की जा सकती है। यह एक एडवांस तकनीक है। उन्होंने बताया कि अभी तक आमतौर पर 15-20 सप्ताह में अल्ट्रासॉउन्ड के जरिये शिशुओं की बीमारियों की पहचान हो पाती थी, लेकिन अब यह मात्र पांच सप्ताह में ही पकड़ में आने लगी हैं। इसका लाभ यह होता है कि किसी प्रकार की समस्या शिशु में आती है तो उसका समय पर इलाज शुरू हो जाता है या गंभीर परिस्थितियों में सही निर्णय लेकर जच्चा की जान बचायी जा सकती है। कार्यशाला की संयोजक डॉ. प्रीती कुमार और डॉ. मोनिका अग्रवाल थी। एडवांस तकनीकियों की ट्रेनिंग के जरिये ही इसको पूरा किया जा सकता है।

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