विश्व आर्थराइटिस दिवस
साइकिलथान, विंटेज कार रैली एवं योग का आयोजन
आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ लखनऊ
कोविद-19 के दौरान आर्थराइटिस के मरीज भी हुए परेशान
लखनऊ। विश्व आर्थराइटिस दिवस (विश्व गठिया दिवस) के अवसर पर आर्थराइटिस के प्रति जागरूकता बढ़ने के उद्देश्य से आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ लखनऊ के द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
कार्यक्रम आयोजक एवं आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ लखनऊ के संस्थापक सदस्य डॉ संदीप कपूर एवं डॉ संदीप गर्ग ने एक प्रेस वार्ता में बताया की विश्व आर्थराइटिस दिवस के मौके पर अक्टूबर 12, 2021 को “साइकिलथान विंटेज कार रैली एवं योगा का आयोजन” किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईएएस एवं लखनऊ विकास प्राधिकरण के वाईस चेयरमैन अक्षय त्रिपाठी होंगे। कार्यक्रम में सोशल डिस्टन्सिंग एवं कोविद प्रोटोकॉल का विशेष ध्यान रखा जायेगा।
डॉ कपूर न बताया की विंटेज कार रैली सुबह छह बजे हेल्थसिटी हॉस्पिटल से शुरू होकर जनेश्वर मिश्रा पार्क तक जाएगी। साथ ही साइकिल रैली भी उसी समय हेल्थसिटी अस्पताल से शुरू होकर जनेश्वर मिश्रा पार्क जाएगी।
डॉ गर्ग ने बताया की योग एवं जुम्बा का आयोजन हेल्थसिटी हॉस्पिटल से निकट पार्क में आयोजित किया जायेगा जिसमे विशेषज्ञ अपने निर्देशन में प्रतिभागियों को योग आसन और उनके लाभ के बारे में बताएँगे साथ ही आसन भी करवाएंगे। सभी कार्यक्रम कोविद प्रोटोकॉल के साथ किया जायेंगे।
प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए के डॉ. संदीप कपूर व डॉ. संदीप गर्ग ने बताया कि आर्थराइटिस प्रमुख रूप से शरीर के जोड़ों पर असर करता है। परन्तु इसका प्रभाव कई प्रकार से व्यक्ति के पूरे जीवन पर पड़ जाता है। विशेष कर कोविद महामारी के दौरान जब अस्पतालों को अपनी सेवाएं सीमित करनी पड़ी तब ऐसे मरीज खासी दिकक्तों का सामना किये। डॉ कपूर ने बताये की टेलीफोन, वाहट्स ऐप और अन्य सोशल मीडिया के माध्यमों से जानकारी मरीजों से साझा की जा रही थी।
परन्तु आर्थराइटिस आज जीवन शैली सम्बन्धित बीमारियों में प्रथम स्थान रखता है। डॉ. कपूर ने बताया कि लखनऊ में लगभग 5 लाख से अधिक व्यक्ति आर्थराइटिस से प्रभावित हैं। भारत में यह संख्या 10 करोड़ है। डॉ. संदीप गर्ग ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार 10 दस में से साथ व्यक्ति आर्थराइटिस से परेशान होते हैं। यह जोड़ों से सम्बन्धित एक जैसी स्वास्थ्य से परेशान होते हैं। बीमारी से ग्रसित व्यक्ति तरह-तरह की परेशानी से गुजरता है। दर्द, चलने-फिरने में कठिनाई, जोड़ों में अकड़न महसूस होना समेत दूसरीपरेशानियाँ होती हैं। मरीज यह महसूस करता है कि वह पहले की तरह चीजों को पकड़ भी नहीं पा रहा है।
ऑर्थराइटिस या पिर गठिया की बीमारी किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकती है और ये बेहद तकलीफ देह होती है क्योंकि इसकी वजह से आपका जलना फिरना मुश्किल हो जाता है और साथ ही दर्द भी बहुत होता है। इसलिए जीवनशैली में कुछ बदलाव लेकर इस बीमारी से बचे रहने ही सर्वोत्तम हैं।
आर्थराइटिस के उपचार व बचाव पर बात करते हुए डॉ. कपूर व डॉ. गर्ग ने कहा कि आर्थराइटिस अन्ततः प्रत्यारोपण सर्जरी के माध्यम से पूर्णतः ठीक हो जाता है, परन्तु आधुनिक दवाओं के माध्यम से प्रत्यारोपण को काफी समय तक टाला जा सकता है। साथ ही मरीज इस दौरान दर्द से भी छुटकारा पा सकते हैं। डॉ. कपूर ने कहा कि आर्थराइटिस उपचार के अधिक माध्यम नहीं है। इस कारण जो मरीज वैकल्पिक उपचार की ओर जाते हैं। वे बीमारी को एक प्रकार से बढ़ावा देते हैं। समय पर सही इलाज जरूरी है।
डॉ. संदीप गर्ग ने कहा कि बीमारी के जल्द पता लगने से इसे न सिर्फ बढ़ने से रोका जा सकता है बल्कि इससे दुष्प्रभाव को भी कम किया जा सकता है। प्रत्यारोपण के बाद मरीज सामान्य जीवन भी जी सकता है। उन्होंने बताया कि आर्थराइटिस होने का मतलब यह नहीं है कि आप सामान्य जीवन व्यतीत नहीं कर सकते। प्रत्यारोपण सर्जरी से सामान्य जीवन सम्भव है क्योंकि उपचार माध्यमों में समय के साथ तरक्की भी हुई है, जिसका सीधा फायदा इसके मरीजों को मिलता है।
हर साल 12 अक्टूबर को विश्व स्तर पर विश्व गठिया दिवस मनाया जाता है। यह दिन लोगों में गठिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है, जो सूजन की ऐसी अवस्था है, जिसमे जोड़ों में दर्द और कठोरता का कारण बनती है। यह एक जॉइंट अथवा कई जोड़ों को प्रभावित कर सकती है।