लखनऊ। प्रदेश में डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। अगर देखा जाए तो लगभग 18 प्रतिशत आबादी प्री डायबिटीज की चपेट में है। इन पर डायबिटीज का खतरा मंडरा रहा है। देश की करीब 11.4 प्रतिशत आबादी डायबिटीज की जद में है। यूपी में यह अनुपात 4.8 फीसदी है। जो राष्ट्रीय स्तर से कम है।
यह बात रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई) कान्फ्रेंस के आयोजक चेयरमैंन डॉ. अनुज माहेश्वरी ने दी। डा. माहेश्वरी शुक्रवार को अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में आरएसएसडीआई की कान्फ्रेंस में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्री डायबिटिक लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। इसकी बड़ी वजह गलत जीवनशैली है। आरामतलब लोगों को डायबिटीज आसानी से शिकार बना लेती है।
केजीएमयू फिजियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नरसिंह वर्मा ने बताया कि पहले लोग तीन समय ही भोजन करते थे। अब लोग दिन में कई बार भोजन के अलावा फास्ट फूड का भी सेवन करते हैं। जब कि खाने के मुकाबले व्यायाम नहीं करते है। इससे भी डायबिटीज की संभावना बढ़ जाती है। डायबिटीज से बचने के लिए नियमित कसरत करें। प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तेज गति से चलना चाहिए।
कान्फ्रेंस में डॉ. अजय तिवारी ने कहा कि प्रदेश में करीब 26 प्रतिशत डायबिटीज पीड़ित एनीमिया की चपेट में हैं।
उन्होने बताया कि डायबिटीज की वजह से शरीर में पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होती हैं। जो डायबिटीज संबंधी जटिलताएं जैसे आंख और तंत्रिका के क्षति ग्रस्त होने की आशंका के अलावा हार्ट और किडनी की सेहत भी बिगड़ सकती है।
डॉ. तिवारी का कहना है कि एनीमिया के खतरों से बचने लिए डायबिटीज मरीज नियमित जांच कराएं। डॉ. अजय ने बताया कि जिन लोगों का पेट अधिक निकाला होता है। उन्होंने बताया कि लंबाई से पेट का आकार आधा होना चाहिए। यही नहीं छह फिट लंबे व्यक्ति की कमर 36 इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए।