गर्भाश्य ग्रीवा (सर्विक्स) कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में पाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा कैंसर है, जिसके हर 527,624 नए मामले आते हैं और इससे 265,672 मौतें हो जाती हैं तथा गर्भाश्य ग्रीवा (सर्विक्स) कैंसरके मामलों में 2030 तक 25 प्रतिशत की वृद्धि के साथ इन मामलों की संख्या 7,00,000 होने की आषंका है जिनमें से अधिकांष निम्न व मध्यम आय वर्ग के देषों एमएमआईसी‘ज़) में होंगे।
हर वर्ष 800,000 महिलाएँ सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) और स्तन कैंसर के कारण मौत का शिकार हो जाती हैं, लेकिन उनका बचे रहना इस बात पर निर्भर करता है कि वह कहां रहती है। स्तन कैंसर से होने वाली दो तिहाई मौतें और सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर से होने वाली 10 में से 9 मौतें निम्न और मध्यम आयवर्ग ;स्डप्ब्ेद्धण्वाले देशों में होती हैं। भारत में, हर वर्ष सर्विकल कैंसर के लगभग 122,844 नए मामले सामने आते हैं और हर साल इससे 67,477 मौतें होती हैं तथा भारतीय महिलाओं को सर्विकल कैंसर से 25.4ः प्रतिशत मृत्यु जोखिम का सामना करना पड़ता है।
वैश्विक स्तर पर एचपीवी संक्रमण की अधिकांष घटनाएं 16 व 20 वर्ष की उम्र के बीच होती हैं। एचपीवी संक्रमण आमतौर पर तेज़ी से ठीक होता है लेकिन यह बने रहे सकता है और इसके बाद गर्भाश्यग्रीवा में इसके पूर्वकैंसरीय उभार बन सकते हैं। यदि इनका उपचार न किया जाए, तो ये 20-30 साल की अवधि में सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर में बदल सकते हैं। निरंतर एचपीवी संक्रमण की अवधि के दौरान, गर्भाश्यग्रीवा में पूर्वकैंसरीय बदलावों की पहचान की जा सकती है; इनकी शीघ्र पहचान सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर की रोकथाम के लिए प्रभावी रणनीति है।
भारत में महिलाओं में सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर का संचयी जोखिम (0-75 वर्ष) विश्व भर के 1.4ः की तुलना में 2.4ः है। दूसरे शब्दों में भारत में हर 8 मिनट में सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर से एक महिला की मौते हो जाती है। हालांकि सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर के कारण होने वाली मृत्यु का संचयी जोखिम भारत और विश्व में क्रमशः 1.4ः और 0.8ः है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में रोकथाम के कदम न उठाए जाने पर हर साल इस रोग से पीड़ित रोगियों की पहचान संख्या दुगनी हो कर लगभग 2.5 लाख होने की आशंका है।
कैंसर आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर की घटनाएं स्तन कैंसर के बाद सबसे अधिक हैं। मानसा और भटिंडा जिलों में इस रोग की सबसे अधिक घटनाएं होती हैं।
सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर की रोकथाम एचपीवी वैक्सीनेशन के माध्यम से की जा सकती है जो एक प्रभावी और सुरक्षित रोकथाम विकल्प है। यदि 9 से 45 वर्ष के आयु समूह की लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन दी जाती है तो इससे सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर को रोकने मेें मदद मिल सकती है।
सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर के बारे में त्वरित तथ्यः सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर भारत में महिलाओं की कैंसर से होने वाली मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर के कारण भारत में हर घंटे आठ महिलाओं की मौत हो जाती है।
- सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर भारत में महिलाओं में होने वाली दूसरा सबसे बड़ा कैंसर और 15 से 44 वर्ष की आयु की महिलाओं में दूसरा सबसे बड़ा कैंसर है।
- भारत में 15 वर्ष और उससे अधिक की महिलाओं की संख्या 453.00 मिलियन है जिनमें सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर होने का जोखिम है।
- भारत में हर वर्ष, 122,844 महिलाओं में सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर की पहचान होती है जो दुनिया भर मे होने वाले ऐसे मामलों का 23.3ः है।
- भारत में हर साल, सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर के कारण 67,477 मौतें हो जाती हैं जो दुनिया भर में इसके कारण होने वाली मौतों का 25.4ः है।
- भारत में सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर की घटनाओं का संचयी जोखिम (0-75 वर्ष की आयु) दुनिया भर के 1.4ः की तुलना में 2.4ः है।
- सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर के कारण होने वाली मृत्यु की घटनाओ का संचयी जोखिम भारत और विष्व (0-75 वर्ष की आयु) में क्रमषः 1.4ः व 0.8ः है।
- भारत में सर्विकल (गर्भाश्यग्रीवा) कैंसर का क्रूड मॉर्टेलिटी रेट (मृत्यु दर) (प्रति एक लाख महिलाओं में) दुनिया भर के 7.6 की तुलना में 11.1 है।
- यह रोग होने की दर 15-44 वर्ष के आयु समूह में बढ़ती है और 55-64 वर्ष में अधिकतम हो जाती है।