लखनऊ। भाषा संचार माध्यम के अलावा अभिव्यक्ति भी व्यक्त करता है। यह चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा में मातृभाषा का उपयोग बच्चों को अवधारणाओं को बेहतर ढंग से समझने और भाषाई कौशल विकसित करने में सहायता करता है। इससे सीखने की प्रक्रिया अधिक सार्थक और समावेशी बनती है, जो सीखने के परिणामों में बेहतर करता है। यह बात त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने शुक्रवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग और एसोसिएशन ऑफ ट्रॉमा एंड ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन्स द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस में सम्बोधित कर रहे थे।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने कहा कि भाषा ज्ञान के अंतराल को कम करने में सहायता करता है। मातृभाषा में शिक्षा लेने पर अध्ययन, तकनीकी जानकारी को अधिक आसानी से और गहराई से समझ पाते हैं। कार्यक्रम में केजीएमयू के पूर्व छात्र रहे जार्जियन डॉ. साहा को कॉन्फ्रेंस में मानद फेलोशिप भी प्रदान की गयी।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. अमिय अग्रवाल ने बताया कि यह कॉन्फ्रेंस पुनर्भवम के नाम से आयोजित की गई है। यह आयोजन केवल वैज्ञानिक संवाद का मंच नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना और सेवा भावना का प्रतीक भी है। कार्यक्रम के दौरान कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद को एपिटोम ऑफ एक्सीलेंस सम्मान से अलंकृत किया गया।
इस मौके पर डॉ. यूएस पाल, डॉ. मदन मिश्रा, डॉ. केके सिंह, डॉ. अरूणेश कुमार तिवारी और डॉ. विभा सिंह मौजूद रहे। समारोह में डॉ. माणिक साहा, डॉ. यूएस पाल, डॉ. विजय कुमार, डॉ. समीर मिश्रा, डॉ. नितिन वर्मा, डॉ. पी अनंतनारायणन मानद फेलोशिप प्रदान की गयी। इसके अलावा डॉ. अभिषेक सिंह, डॉ.अभिज्ञान मानस, डॉ. प्रियंकर सिंह, डॉ. संदीप कुमार पांडेय, डॉ. ले. कर्नल विशाल कुलकर्णी, डॉ. अश्विन प्रीतम कुमार, डॉ.प्रेम राज सिंह, डॉ. अखिलेश कुमार पांडेय, डॉ. पद्मनिधि अग्रवाल, डॉ. रवि कुमार, डॉ. अंशू सिंह, डॉ. अखिलेश कुमार सिंह फेलोशिप प्रदान की गयी।












