लखनऊ। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य , सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत शुक्रवार को रखा।
यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, जिसमें महिलाएं निर्जला उपवास रख शाम को पारंपरिक सोलह श्रृंगार के साथ चंद्रमा को अघ्र्य देकर व्रत का समापन किया। करवाचौथ का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र के लिए दिनभर व्रत रखा। देर शाम को चंद्रमा को अघ्र्य देने के उपरांत ही व्रत खोला। भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का प्रतीक करवाचौथ पर्व मनाने के लिए सुहागिन महिलाएं पिछले कई दिनों से खरीदारी में जुटी थी। महिलाओं ने अपने लिए सोने-चांदी के आभूषण, कपड़े और कॉस्मेटिक के सामानों सहित आकर्षक लगने के लिए अन्य सामानों की भी खरीदारी कर रही थी।
सुहागिनों ने व्रत रखकर पूजन से पहले में बुजुर्ग महिलाओं से करवाचौथ की कथा सुनी। बुर्जुग महिलाओं ने उन्हें कथा सुनाते हुए बताया कि किदवंती है कि एक साहूकार के 7 लडक़े और एक लडकी थी। सेठानी सहित उसकी बहुओं व बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात में साहूकार के लडक़े भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहन ने जवाब दिया भाई अभी चांद नहीं निकला है। उसके निकलने पर अघ्र्य देकर भोजन करूंगी।
बहन की बात सुनकर भाइयों ने नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी लाकर उसमें प्रकाश दिखाते हुए बहन से कहा चांद निकल आया है। कथा सुनने के उपरांत सुहागिन महिलाओं ने प्रार्थना की। पुनीता, अनीता, राखी, राधिका, अल्का, लाली ने बताया कि यह व्रत पति-पत्नी के प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है।
महिलाओं के अनुसार, करवा चौथ महिलाओं का सबसे महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जिसमें वे मेहंदी और अन्य श्रृंगार करती हैं। ज्योतिषाचार्य आनंद दुबे ने बताया कि सनातन धर्म में करवा चौथ का व्रत अत्यंत पवित्र माना जाता है।