केजीएमयू
लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के एनस्थीसिया विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर ने विशेष प्रकार का उपकरण तैयार किया है। इस उपकरण की सहायता से डॉक्टर की कलाई (रिस्ट) पूरी तरह से नियंत्रण में रहेगी, जिससे क्लीनिकल वर्क के वक्त मरीज को चोट लगने की संभावना कम होगी। भारत सरकार ने विशेषज्ञ डाक्टर के एंटी रेडियल डिविएशन डिवाइस फॉर सेफ लैरेन्गोस्कोपी के डिजाइन को पेटेंट प्रदान कर दिया है।
केजीएमयू एनस्थीसिया विभाग के विशेषज्ञ डॉ. तन्मय तिवारी ने बताया कि सर्जरी से पहले मरीज को बेहोशी दी जाती है। ऐसे में मरीज को कृत्रिम सांस की नली मुंह के माध्यम से डाली जाती है। उन्होंने बताया कि उपकरण से नली मरीज में सांस की नली डाली जाती है। ऐसे में देखा गया है कि 25 प्रतिशत मामलों में डॉक्टर की कलाई का नियंत्रण गड़बड़ाने से मरीज के मुंह में चोट आ जाती है।
यही नहीं यह चोट उन मरीजों में एयरवे मैनेजमेंट के दौरान लग सकती है, जिनमे बड़े दांत, मुंह कम खुलता हो या जिनमे लैरिंगोस्कोपी करने में मुश्किल होती है।
चोट के कारण मरीज को खासी परेशानी होती है।
सुरक्षित सांस की नली डालने के लिए एंटी रेडियल डिविएशन डिवाइस फॉर सेफ लैरेन्गोस्कोप डिजाइन किया है। यह अभिनव उपकरण एनेस्थीसिया के क्षेत्र विशेषकर एयरवे मैनेजमेंट में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। इसका मकसद लैरेन्गोस्कोपी के दौरान रेडियल डिविएशन को कम करना है, जिससे डॉक्टरों के लिए एर्गोनॉमिक्स में सुधार होता है। मरीजों की सुरक्षा बढ़ती है। इस मौके पर कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद व एनस्थीसिया विभाग प्रमुख डॉ. मोनिका कोहली ने बधाई दी है।