लखनऊ । लोहिया संस्थान के कार्डियोलॉजी विभाग में चार मरीजों की लेजर तकनीक से कोरोनरी एंजियोप्लास्टी की गई।
इसके साथ ही लोहिया संस्थान प्रदेश का पहला अस्पताल व उत्तर भारत का पहला सरकारी संस्थान बन गया ,
जहां लेज़र से एंजियोप्लास्टी की गई है।
लेज़र से एंजियोप्लास्टी से मरीजों के लंबे समय से बंद (100% ब्लॉक ) नसों को खोला गया। दो मरीज ऐसे थे जिनके पुराने लगे स्टंट सिकुड़ गए थे ओ उनमें कैल्सियम जम गया था।
इन मरीजों में लेज़र से पहले पुराने स्टंट को साफ किया गया फिर दुबारा एंजियोप्लास्टी की गई।
लेज़र से एंजियोप्लास्टी की सुविधा भारत के कुछ चुनिंदा संस्थानों में ही उपलब्ध है।
लेज़र तकनीक उन मरीजों के लिए वरदान है जहां अन्य एंजियोप्लास्टी तकनीक विफल हो जाती है व मरीज को
बाईपास के लिए भेजा जाता है।
लेज़र नसों में जमें कोलेस्ट्रॉल को हार्ट अटैक के मरीजों में नसों में बने खून के थक्कों को गला देती है व खून का प्रवाह ठीक करती है।
लेज़र से एंजियोप्लास्टी एक जटिल एंजियोप्लास्टी है।
लेज़र से एंजियोप्लास्टी में एक सामान्य एंजियोप्लास्टी से एक लाख रुपए का अतिरिक्त खर्चा आता है।
लेज़र एंजियोप्लास्टी करने वाली टीम में प्रोफेसर सुदर्शन कुमार विजय, प्रोफेसर अमरेश सिंह,
डॉ० अभिजीत, डॉ शिखर, डॉ०सैयद अकरम, व पैरामेडिकल स्टाफ में प्रियरंजन,कर्णिका व नर्सिंग स्टाफ शैलजा एवं अजय शामिल रहे।यह लेज़र एंजियोप्लास्टी चेन्नई से लाई गई
लेज़र मशीन की सहायता से की गई व इसमें केरल के तकनीकी विशेषज्ञ की सहायता की गई।
अभी संस्थान में एंजियोप्लास्टी की सुविधा पोर्टेबल लेज़र मशीन से उपलब्ध है।