लखनऊ। पीठ में असहनीय दर्द, पैरों में झनझनाहट और चलने-फिरने में दिक्कत से परेशान केन्या की एक महिला मरीज को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डाक्टरों में नया जीवन दिया है। नैरोबी निवासी 38 वर्षीय मरीज बेल्डिना मोरा न्याकुंडी की स्पाइन में डिस्क से जुड़ी जटिल समस्या थी, जिसका सफल इलाज केजीएमयू में महज 30 हजार रुपयेे में किया गया, जबकि यही सर्जरी केन्या में आठ से दस लाख रुपये तक में होती है।
बेल्डिना को इंटरवर्टेब्रल डिस्क हर्निएशन नामक बीमारी की शिकायत थी, जिसका इलाज उन्होंने केन्या के कई अस्पतालों में कराया, लेकिन राहत नहीं मिली।
अंतत: उन्होंने भारत आकर इलाज कराने का निर्णय लिया और केजीएमयू के न्यूरो सर्जरी विभाग में डाक्टर से परामर्श के बाद भर्ती हुईं। डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव की देखरेख में एंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी की गयी। डॉ. क्षितिज ने बताया कि मरीज की पीठ पर एक छोटा सुराख कर एंडोस्कोप और उपकरणों की मदद से डिस्क को हटाया गया।
यह प्रक्रिया कम ब्लीडिंग, कम दर्द और तेज रिकवरी के लिए जानी जाती है। इस सर्जरी में डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव के साथ डॉ. विष्णु वर्धन, डॉ. साहिल के साथ एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. मोनिका कोहली, डॉ. अहसान सिद्दीकी और डॉ. बृजेश प्रताप सिंह ने अपना योगदान दिया।
केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. के के सिंह ने बताया कि एंडोस्कोपिक सर्जरी बेहद सुरक्षित होती है। इसमें मरीज की अस्पताल में रहने की अवधि कम होती है और वह जल्द ही सामान्य जीवन में लौट सकते हैं। बेल्डिना भी सर्जरी के कुछ घंटों बाद ही चलने-फिरने लगीं और अगले ही दिन सामान्य गतिविधियों में हिस्सा लेने लगीं।
न्यूरो सर्जरी विभाग प्रमुख डॉ. बीके ओझा ने बताया कि केन्या की तुलना में केजीएमयू में यह सर्जरी 30 गुना सस्ती हुई। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस तरह की सफल विदेशी मरीजों की सर्जरी से भारत में मेडिकल टूरिज्म को नई दिशा मिलेगी।
सर्जरी के बाद मरीज बेल्डिना ने कहा कि मैं कई वर्षों से असहनीय दर्द में जी रही थी, यहां जो इलाज और देखभाल मुझे मिली, वह अविश्वसनीय है। केजीएमयू के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने मुझे पेनलेस जीवन दिया है। अब मुझे जिंदगी में फिर से उत्साह और उम्मीद मिली है।