विश्व मोटापा दिवस
लखनऊ। मोटापे की समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। प्रत्येक वर्ष 4 मार्च को विश्व मोटापा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का खास मकसद उस जीवन शैली को प्रोत्साहित करना है, जिससे वजन बढ़ने को संतुलित रखने और मोटापे से होने वाले खतरों के प्रति आगाह किया जाता है। जब मोटापे से हार्ट अटैक का खतरा और डायबिटीज की समस्या बढ़ जाती है। इससे किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है. मोटापे को लिवर,
ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, ओवेरियन, गॉल ब्लैडर और कोलन जैसे कैंसर से भी जोड़कर देखा जाता है।
लगभग हर उम्र के लोगों में खान-पान में काफी बदलाव हो रहा है, जिसकी वजह से वजन बढ़ने से शरीर के अंग प्रभावित होते है। वसा बढ़ने की वजह से स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 25 या उससे ज्यादा का बॉडी मास इंडेक्स वजन बढ़ने का संकेत करती है। जब कैलोरी लेने और उसके खर्च में असंतुलन होता है, तो मोटापा बढ़ता है। काम करने के तरीके में बदलाव आया है। लोगों की शारीरिक गतिविधियां कम हुई है।
विश्व ओबेसिटी फेडरेशन के 2023 एटलस ने आशंका जताई है कि अगले 12 सालों के अंदर दुनिया के 51 फीसदी या 4 बिलियन से अधिक लोग मोटापे का शिकार होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2035 तक आधी से अधिक दुनिया के लोग वजन बढ़ने या मोटापे से ग्रस्त होंगे। खान पान में अधिक फैटी भोजन से बचना चाहिए। संतुलित आहार लेने, शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाने, नियमित व्यायाम करने से मोटापे के जोखिम को कम किया जा सकता है। इसके अलावा लोग अब मोटापा घटाने के लिए सर्जरी भी कराने लगे है। इनमें बैरियाट्रिक के अलावा लिपोसक्शन, गाइनेमेस्टिया बहुत लोग करा रहे है।
केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. विजय कुमार बताते है कि वर्तमान में लिपोसक्शन के अलावा पुरुषों में मोटापे के कारण बढ़े हुए ब्रोस्ट की सर्जरी गाइनेमेस्टिया काफी लोग कराने आ रहे है। यह सर्जरी लगातार हो रही है। वही जनरल सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सर्जन डा. अवनीश बताते है कि मोटापे से परेशान लोग बैरियाट्रिक सर्जरी कराने आ रहे है। इस सर्जरी में मोटापा तो तेजी से कम होता है, लेकिन इसके साइड इफेक्ट भी काफी है।