*डा सूर्यकान्त ने चिकित्सकों को टीबी उन्मूलन हेतु बतायें पांच मंत्र- टीबी का इलाज, टीचिंग और ट्रेनिंग, रिसर्च, जागरूकता एवं एडवोकेसी*
लखनऊ. सोमवार को किंग जॉर्ज मेडिकल चिकित्सा GMU) लखनऊ में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत महत्वपूर्ण तीन दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उ0प्र0 के 31 प्राइवेट मेडिकल कालेज के चिकित्सक प्रतिनिधि टीबी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी का प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि पार्थ सारथी सेन शर्मा (आईएएस), प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा, उ0प्र0 तथा केजीएमयू की कुलपति डा0 सोनिया नित्यानन्द ने किया।
इस अवसर पर भारत सरकार के राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के उपमहानिदेशक स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार डा0 राजेन्द्र पी जोशी ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से चिकित्सकों को प्रशिक्षण के पश्चात समाज में जागरूकता फैलाने तथा टीबी पर रिसर्च करने पर जोर दिया। उद्घाटन कार्यक्रम में उत्तर भारत के नौ राज्यों की टीबी उन्मूलन टास्क फोर्स के चेयरमैन डा0 सूर्यकान्त के स्टेट टीबी आफिसर डा0 शैलेन्द्र भट्नागर के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डा0 ब्रजेश राठौर तथा उ0प्र0 के टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के स्टेट टास्क फोर्स चेयरमैन, आगरा मेडिकल कालेज के डा. गजेन्द्र विक्रम सिंह भी उपस्थित रहें।
मुख्य अतिथि पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए उनसे ये अपेक्षा की कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात मास्टर ट्रेनर के रूप में अपने अपने मेडिकल कालेज के सभी चिकित्सकों, चिकित्सा कर्मियों, चिकित्सा छात्रों के अतिरिक्त अपने जिले के सभी सरकारी एवं प्राइवेट चिकित्सालयों को राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) की गाइडलाइंस के बारे में प्रशिक्षित करेंगे तथा टीबी की शुरूआत होने पर ही पहचान की जा सके इसका प्रयास करेंगे। टीबी की शुरूआत होने पर ही पहचान हो जाने पर रोगी जल्दी स्वस्थ्य हो सकेगा तथा अन्य लोगो को टीबी नही फैला सकेगा।
केजीएमयू की कुलपति डा. सोनिया नित्यानन्द ने पार्थ सारथी सेन शर्मा को यह विश्वास दिलाया कि केजीएमयू प्रदेश के समस्त मेडिकल कालेजों के चिकित्सकों को टीबी के बारे में सम्पूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करेगा. टीबी मुक्त बनाने में पूर्ण सहयोग करेगा।
उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा. सूर्यकान्त ने सभी चिकित्सक प्रतिभागियों को प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान में पूरा सहयोग देने के लिए पांच मंत्रों का जिक्र किया- टीबी का इलाज, टीचिंग और ट्रेनिंग, रिसर्च, जागरूकता एवं एडवोकेसी। इन पांच मंत्रों से प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त भारत के सपने को सकार करने में चिकित्सकों बहुमूल्य योगदान होगा। डा. सूर्यकान्त ने यह भी बताया कि रेस्पाइरेटरी मेडिसिन विभाग को इन्टरनेशनल यूनियन अगेन्स्ट टी0बी0 एंड लंग डिजीजेस (यूनियन), विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा भारत सरकार द्वारा ड्रग रेजीस्टेन्ट टी0बी0 के लिए सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स चुना है (पूरे भारत मे 05 में से 01) जिससे के0जी0एम0यू0 व उत्तर प्रदेश को टी0बी0 उन्नमूलन के क्षेत्र में अन्तराष्ट्रीय पहचान मिली है। ड्रग रेजीस्टेन्ट टी0बी0 (जटिल टी0बी0) के समाधान के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में के0जी0एम0यू0 प्रदेश के 24 नोडल ड्रग रेजीस्टेन्ट टी0बी0 सेन्टर तथा समस्त 67 मेडिकल कालेज एवं 75 जिलों में “हब और स्पोक” माडल के आधार पर कार्य योजना बना रहा है। स्टेट टी0बी0 ऑफिसर डा0 शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश मे टी0बी0 रोगियों की लक्ष्य से अधिक पहचान कर ली है। उद्घाटन के पश्चात तीन दिवसीय प्रशिक्षण के पहले दिन साधारण टी0बी0, बच्चों की टी0बी0, टी0बी0 की डायग्नोसिस जैसे विषयों पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेशनल प्रोग्राम आफिसर डा. मलिक परमार, अहमदाबाद के टी.बी. के नेशनल एक्पर्ट डा0 राजेश सोलंकी, दिल्ली से डा. हार्दिक सोलंकी व यूनियन से डा0 मीरा भाटिया उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त के0जी0एम0यू0 के बाल रोग विभाग से डा. सारिका गुप्ता, माइक्रोबायलोजी विभाग से डा. पारूल जैन, गोरखपुर से डा. अश्विनी मिश्रा, प्रयागराज से डा. अमिताभ, रेस्पाइरेटरी मेडिसिन विभाग के सभी चिकित्सक, विश्व स्वास्थ्य संगठन ंके टी0बी0 परामर्शदाता तथा टी0बी0 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ ने भी प्रतिभाग किया।