लखनऊ । प्रदेश में अंग प्रत्यारोपण की वेंटिग में चल रहे
मरीजों की मुश्किलें आसान होने धा रही है। ब्रेन डेथ डोनर मेंटेनेंस पैकेज को हरी झंडी नीति आयोग ने दे दी है। खास बात यह है कि ब्रोन डेथ दाता मेंटेनेंस पैकेज आयुष्मान भारत योजना के तहत दिया जाएगा।
बताते चले कि प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले मरीजों और उपलब्ध अंगों के बीच एक बड़ा अंतर बना हुआ है।
आंकड़ों को देखा जाए तो प्रति वर्ष लगभग दो लाख मरीज़ों की लिवर फेल्योर या लिवर कैंसर से मौत हो जाती है, अगर देखा जाए, तो लगभग 10-15 प्रतिशत को समय रहते लिवर प्रत्यारोपण से बचाया जा सकता था। आंंकड़ों में वार्षिक रूप से लगभग 25-30 हजार लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल 1,500 प्रत्यारोपण ही हो पा रहे है। वहीं प्रतिवर्ष लगभग 500,000 व्यक्ति हार्ट फ़ेल से पीड़ित होते हैं, लेकिन हर वर्ष केवल 10-15 हार्ट प्रत्यारोपण ही किए जाते हैं। प्रदेश राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (सोटो) ने अंग प्रत्यारोपण के वेंटिग के मरीजों की दिक्कतों को दूर करने के लिए एक और पहल की थी। इस पहल के तहत सोटो ने ब्रेन डेथ डोनर मेंटेनेंस पैकेज को आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने की अपील सरकार से की थी। इसके बाद नीति आयोग ने अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है।
सोटो के संयुक्त निदेशक प्रो. राजेश हर्षवर्धन ने बताया है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत लाभार्थी मरीज का इलाज निशुल्क होता है, लेकिन ब्रेन डेथ अवस्था में पहुंचने के बाद के खर्च इस योजना के तहत निशुल्क नहीं हो पाते हैं।
उन्होंने बताया कि जीवन रक्षक प्रत्यारोपण के लिए ब्रेन डेथ मरीज के अंगों को सुरक्षित रखने के लिए कृत्रिम तरीकों को अपनाना पड़ता है यानी की ब्रेन डेथ दाता के शरीर को आईसीयू में रखना पड़ता है। जिसका खर्च मस्तिष्क मृत मरीज के परिजन नहीं उठा पाते हैं। ऐसे में कई बार ब्रेन डेथ मरीज के परिजन चाह कर भी अंगदान प्रक्रिया से मजबूरी में दूर हो जाते हैं,जिससे अंग प्रत्यारोपण की राह देख रहे मरीजों को नई जिंदगी देने में मुश्किलें आ रही हैं। ब्रोन डेथ दाता मेंटेनेंस पैकेज मिलने पर आईसीयू का खर्च भी निशुल्क हो जाएगा और ब्रोन डेथ मरीज के परिवार के सदस्यों को अंगदान का विकल्प चुनने में आसानी होगी।
प्रो. हर्षवर्धन ने बताया कि एक व्यक्ति के अंगदान से 8 लोगों की जान बच सकती है। इसके अलावा ऊतक दान से लगभग 75 व्यक्तियों के जीवन में सुधार होता है। इसके साथ ही अंग दाताओं की कमी के कारण प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले रोगियों की प्रतीक्षा सूची में भी वृद्धि हुई है। ऐसे में जागरुकता से ही इस कमी को दूर किया जा सकता और लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।