लखनऊ। डॉक्टरी पेशे का उद्देश्य केवल जीविकोपार्जन एवं व्यक्तिगत उन्नति के लिए नहीं है बल्कि मानव सेवा भी है। उन्होंने उपस्थित चिकित्सकों से कहा कि चिकित्सक का मरीज के साथ संवाद और सामंजस्य आवश्यक है। यह मरीज को जीवन दे सकता है। यह बात राज्यपाल एवं कुलाध्यक्ष श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार को राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान का प्रथम दीक्षान्त समारोह में कही।
राज्यपाल ने कलश में जलधारा अर्पण करके जल संरक्षण के संदेश के साथ दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ किया। राज्यपाल ने समारोह में कुल 28 पदक एवं 60 उपाधियों का वितरण किया गया। संस्थान का प्रतिष्ठित चासंलर मेडल सुमेधा गुप्ता को दिये जाने पर हाल में मौजूद सभी डाक्टरों व अन्य लोगों ने स्टैडिंग ओवेशन दिया।
समारोह में समस्त उपाधियों को राज्यपाल ने बटन दबाकर डिजिलॉकर में अपलोड भी किया गया। समारोह में चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह , इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एण्ड बिलीरी साइंसेज नई दिल्ली के चांसलर पद्म भूषण डॉ. शिव कुमार सरीन सहित अन्य डा. एके सिंह, डा. एपी जैन वरिष्ठ डाक्टर मौजूद थे।
राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह में उपाधि व पदक प्राप्त विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मरीजों के साथ अपनेपन की भावना से कार्य करें। उन्होंने कहा कि डॉक्टर और नर्स में योग्यता के साथ-साथ मरीजों के प्रति करुणा का भाव होना भी बहुत जरूरी है। उन्होंने वर्तमान समय को रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का समय बताते हुए कहा कि तकनीकी समाधानों के साथ-साथ चिकित्सा के विभिन्न तरीकों को भी बढ़ाए जाने की जरूरत है।
उन्होंने देश में हेल्थ केयर के ऐसे सिस्टम की जरूरत बतायी। जो गरीब से गरीब की भी चिंता करता हो। राज्यपाल ने बच्चों को मदर फीडिंग नहीं करवाए जाने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस संदर्भ में डॉक्टर द्वारा लोगों को जागरूक किया जाए। इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि वे अपने जीवन में नई ऊंचाइयां प्राप्त करें तथा अपने क्षेत्र में आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि लखनऊ में अवस्थित केजीएमयू, पीजीआई तथा आरएमएलआईएमएस के पदक प्राप्त विद्यार्थियों में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। इस अवसर पर संस्थान की निदेशक प्रो. सोनिया नित्यानंद द्वारा संस्थान की प्रगति आख्या प्रस्तुत की गई।
———————-