लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में स्टैंड संचालक मरीज आैर तीमारदारों से खुलेआम गुंडागर्दी कर रहे हैं। केजीएमयू के अधिकारियों के संरक्षण पर स्टैंड संचालक खुद ही व्यवस्थापक बन गये है आैर गरीब मरीजों का जबरन 100 से 300 रुपये का चालान काट रहे हैं। सोमवार को स्टैंड संचालकों ने फिर ओपीडी के पास गाडि़यों को चेन बांध कर चालान काट दिया। विरोध करने पर धक्कामुक्की की, जिससे तीमारदारों ने जमकर हंगामा मचाया। केजीएमयू के जिम्मेदारी अधिकारी भी खामोश रहे।
सोमवार को बुजुर्ग मां का इलाज कराने आए एक बेटे की गाड़ी को चैन से बांध दिया। ओपीडी के पास खड़े वाहन की चैन खोलने को कहा तो धक्का देकर भगा दिया। बिना चालान जमा दिए गाड़ी देने से मनाकर दिया। गर्मी से बेहाल गंभीर बुजुर्ग परेशान होता देख बेटा स्टैंड संचालकों के सामने गिड़गिड़ता रहा। केजीएमयू अधिकारियों से कहा लेकिन सनुवाई नहीं हुई।
बीमारी के कारण कमजोरी, चक्कर समेत दूसरी समस्या लेकर चलने में असमर्थ सतीश कुमार अपनी मां को लेकर केजीएमयू ओपीडी पहुंचे। उन्होंने ओल्ड ओपीडी में चौकी के पीछे रैंप के नजदीक मोटरसाइकिल खड़ी कर दी। ताकि बुजुर्ग मां को अधिक चलना न पड़े। मेडिसिन विभाग में डॉक्टर से परामर्श के बाद दोनों मोटरसाइकिल लेने पहुंचे, तो देखा उनकी मोटरसाइकिल समेत 40 गाड़िंया चेन में बंधी है। तपती धूप में बुजुर्ग मां को लेकर सतीश आधे घंटे खड़े रहे आैर चेन खोलने की गुहार लगाते रहे। सुनवाई न होने पर मां को छांव में बिठाने के बाद स्टैंड संचालक से मिले, तो कर्मचारियों ने उससे 300 रुपये जमा करने को कहा। जब उसने इतना पैसा चुका पाने में असमर्थ बताया आैर मां का हवाला देते हुए चेन खोलने को कहा। आरोप हैं स्टैंड कर्मचारियों ने सतीश को पुलिस चौकी से दूर ले जाकर धक्का देते हुए भगाने लगे। कई तीमारदार बीच-बचाव कराने लगे। तीमारदारों ने कहा कि बड़े वाहन बीच सड़क व रैंप के पास खड़े हैं। इनका चालान नहीं किया। सिर्फ कुछ मोटरसाइकिल ही बांधी गयी।
तीमारदार बंधी चैन को खुलवाने के लिए लोग प्रॉक्टर ऑफिस गए। वहां से मुख्य पीआरओ आफिस भेजा गया। दोनों जगह उनकी सुनवाई नहीं हुई। परेशान तीमारदारों ने चौकी पर भी शिकायत की। कर्मचारियों ने एक महिला पुलिसकर्मी की गाड़ी भी बांध दी थी। आरोप है कि जिसे खोलने के लिए शुभम नाम का व्यक्ति आया। तीमारदारों ने बाकी गाड़ियां भी खोलने के लिए कहा। शुभम ने सब को डपट कर कहा कि अब तो 300 रुपये चालान जमा करना होगा। इसकी रसीद भी नहीं मिलेगी। देखता हूं मेरा कौन क्या बिगाड़ सकता है।
स्टैंड पर हंगामे की सूचना कुलपति डॉ. बिपिन पुरी से की गयी, तो उन्होंने कहा कि चीफ प्रॉक्टर ही मामले को देख सकते हैं। चीफ प्रॉक्टर डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव ने हंगामा बढ़ता देख दो कर्मचारियों को भेजा। उनकी भी स्टैंड संचालक ने नहीं सुनी। चीफ प्रॉक्टर के हस्तक्षेप के बाद भी स्टैंड संचालक ने कुछ लोगों से 200-200 रुपये लेकर ताला खोला। कुछ लोगों का बिना चालान जमा किए ही जाने दिया।