लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में बोन मेरो प्रत्यारोपण शुरू हो गया है। यह जटिल प्रत्यारोपण हेमेटोलॉजी विभाग में शुरू किया गया है। इसके बाद अब ब्लड कैंसर के मरीजों को बोन मेरो प्रत्यारोपण के लिए अन्य चिकित्सा संस्थान नहीं जाना पड़ेगा।
हेमेटोलॉजी विभाग में ब्लड कैंसर के अलावा व ब्लड की अन्य जटिल दूसरी बीमारियों का इलाज किया जा रहा है। विभाग की प्रत्येक ओपीडी में 250 से अधिक मरीज पहुंचते हैं। यहां पर डाक्टर गंभीर मरीजों को भर्ती कर इलाज भी दे रहे है। अभी ब्लड कैंसर से पीड़ित मरीजों के इलाज में कीमोथेरेपी व इम्यूनोथेरेपी का प्रयोग किया जा रहा था। लगातार ब्लड व ब्लड कैंसर मरीजों के इलाज के बाद अब बोनमेरी प्रत्यारोपण करने में भी सफलता मिली है।
कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने बताया कि ब्लड कैंसर से पीड़ित मरीजों का बोनमैरो प्रत्यारोपण का निर्णय लिया गया। इसके बाद मरीजों में कैंसर से लड़ने की नई उम्मीद जगी है। हेमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एके त्रिपाठी का कहना है कि अब तक चार मरीजों का बोनमैरो प्रत्यारोपण किया जा चुका है। ऑटोलॉगस तकनीक से प्रत्यारोपण किया गया है।
इसमें मरीज का बोनमैरो ही उसमें प्रत्यारोपित किया जाता है। इससे रिजेक्शन की आशंका बहुत कम हो जाती है। अभी तक किये गये चारो बोन मेरो प्रत्यारोपरण मायलोमा ब्लड कैंसर के मरीज है। जल्द ही लिम्फोमा ब्लड कैंसर के मरीजों में बोन मेरो प्रत्यारोपण शुरू होगा।
बोन मेरो प्रत्यारोपण के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। इन मरीजों को फालोअप के लिए निर्धारित समय-समय पर बुलाकर जांचें करा कर फालोअप लिया जा रहा हैं। डा. एके त्रिपाठी ने बताया कि उनके यहां ढाई लाख रुपये में प्रत्यारोपण हो रहा है। उन्होंने बताया कि पीएम व सीएम फंड समेत कई तरह की योजनाएं केजीएमयू में चल रही हैं। इसके तहत मरीज को स्वयं इलाज में धनराशि भी नहीं खर्च करने पड़ रहे हैं। जब कि देखा जाए तो निजी अस्पताल में 10 लाख रुपये में प्रत्यारोपण करते है। बोनमेरो प्रत्यारोपण टीम में विभाग के डॉ. स्वस्ती सिन्हा, पैथोलॉजी विभाग की डॉ. गीता यादव, ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. तूलिका चन्द्रा, रेडियोथेरेपी विभाग प्रमुख डॉ. एमएलबी भट्ट शामिल हैं।