लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में एमडीआर लेकर एक्सडीआर टीबी के मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। टीबी को जड़ से मिटाने के लिए अब केजीएमयू राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी भूमिका निर्वंहन करने जा रहा है। टीबी के जटिल संक्रमण के इलाज के लिए केजीएमयू को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह जानकारी केजीएमयू रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. सूर्यकांत ने लालबाग के होटल में इन्टरनेशनल यूनियन अगेन्स्ट टीबी एंड लंग डिजीजेस की कार्यशाला में दी।
शुक्रवार को कार्यशाला में डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि देश में टीबी के जटिल संक्रमण के इलाज के लिए सात सेंटर विकसित किए जा रहे हैं।
इनमें सेंटर ऑफ एक्सीलेंस टीबी से मुकाबले में बड़ी भूमिका निभाएंगे। केजीएमयू, मुंबई, शिलांग, चेन्नई, कोलकाता व दिल्ली में दो सेंटर बनाए जा रहे हैं। यह सेंटर आसपास के केंद्रों को ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के इलाज में सहयोग करेंगे। किसी प्रकार का नया अपडेट को आपस में साझा करेंगे।
इसके साथ ही प्रशिक्षण कार्यक्रम होंगे। इसमें डॉक्टर से लेकर इलाज में जुटे पैरामेडिकल स्टाफ को समय-समय पर इलाज व जांच के अपडेट की जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अनुसार दुनिया में एक करोड़ लोग टीबी की चपेट में आ रहे हैं। यहां 26 लाख लोग टीबी की चपेट में आ रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में तरकीबन पांच लाख लोग टीबी की चपेट में आ रहे हैं। इस मौके पर प्रदेश के स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ. शैलेन्द्र भटनागर, यूनियन की डॉ. मीरा भाटिया, सेंट्रल टीबी डिवीजन के डॉ. मयंक मित्तल व टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सांइसेज के सचिन व श्वेता उपस्थित थी।