लखनऊ। बलरामपुर अस्पताल प्रशासन के निर्देश को धता बताते हुए नेत्र रोग विभाग के संविदा डॉक्टर की आंखों की सर्जरी कर रहे है। हुआ यू कि विभाग में तैनात डॉक्टर को निदेशक के मना करने के बावजूद विभाग की ओटी में पहुंच कर सर्जरी करके निकल लिया। आश्चर्य की बात है कि गजब की बात यह है कि इसकी जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों को भी पता नही लगी। ऐसा तब हुअा जब अस्पताल प्रशासन ने आरोपी डॉक्टर को ओपीडी और ओटी में आने से पहले निदेशक के सामने उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे।
नेत्र रोग विभाग में लग रहे आरोपों को देखते हुए बीते चार दिन पहले बलरामपुर अस्पताल के निदेशक ने नेत्र रोग विभाग में तैनात एक संविदा डॉक्टर को ओपीडी और ओटी में प्रवेश करने पर रोक लगा दिय था। डॉक्टर पर आरोप है कि मोतियाबिंद सर्जरी में प्रयोग होने वाले लेंस के नाम पर डॉक्टर ने मरीज से तीन से चार हजार रु पये तक ले लिए थे। इससे पहले भी आरोपी डॉक्टर पर मरीजों से बाहर से लेंस लगवाने के लिए प्रेशर और लेंस के लिए तीन से पांच हजार रु पये लेने के आरोप लगे हैं, लेकिन, अस्पताल में शिकायतों के बाद भी ऐसे मामलों पर ठोस कार्रवाई नहीं की थी।
नेत्र रोग विभाग के आरोपी डॉक्टर द्वारा मरीजों से धनराशि लेने के मामले के खुलासे के बाद अस्पताल के निदेशक ने उसके ओपीडी व ओटी में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। निर्देश दिया गया था कि डॉक्टर जब तक निदेशक के सामने प्रस्तुत नहीं हो जाता, तब तक वह न तो मरीजों परामशर््ा देगा और न ही कोई सर्जरी करेंगा। इसके बाद भी नेत्र रोग विभाग के कुछ डॉक्टरों के आरोपी डॉक्टर से चोर- चोर मौसेसे भाई का रिश्ता निभाने में लगे हैं। इनके सहयोग से आरोपी डॉक्टर ओटी में आकर छह मरीजों का सर्जरी कब करके चला गया, इसकी जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं लगी। आश्चर्य की बात तो यह है कि निदेशक को इस मामले की जानकारी एक दिन बाद हुई।
अस्पताल के निदेशक डा. रमेश गोयल का कहना है कि आरोपी डॉक्टर से मामले पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया है। जवाब नहीं मिला तो कार्रवाई की जाएगी।