लखनऊ। राजधानी में हाल के दिनों में बुखार की चपेट में आने के बाद तीन बच्चों की मौत भी हो चुकी है। इन दिनों बच्चों में सर्दी जुकाम के साथ बुखार का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। बाल रोग विशेषज्ञ डाक्टरों का मानना है कि बुखार में सावधानी बरतनी आवश्यक है। देखने में आया है कि अभिभावक अक्सर लापरवाही बरत रहे है। विशेष कर खान- पान व प्लेटलेट्स की निगरानी करना जरूरी है। विशेषज्ञों की मानें तो पहले वायरल बुखार तीन से चार दिन में कम होने लगता था, लेकिन कोरोना काल में बुखार पांच से छह दिन से भी ज्यादा ले रहा है। बरसात में मच्छर जनित बीमारियां मलेरिया, डेंगू आदि भी तेजी से बढ़ता है। ऐसे में डाक्टर की सलाह के बाद ही दवाओं का सेवन करना चाहिए।
वीरागंना अवंती बाई बाल महिला (डफरिन) अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. सलमान का कहना है कि ओपीडी में सर्दी जुकाम से पीड़ित बच्चें काफी संख्या में आ रहे है। उन्होंने बताया कि बुखार में बच्चें हो या बड़े खाना पीना छोड़ देते है,जब कि इस दौरान तरल पदार्थ दाल का पानी, इलेक्ट्राल या अन्य तरल पदार्थ देना चाहिए। किसी भी हालत में डिहाइड्रेशन न हो। इसके अलावा अक्सर लोग बुखार में केमिस्ट से या परिचित के कहने पर एंटीबायोटिक दवा देने लगते है। सभी बुखार में एंटीबायोटिक दवा बिना डाक्टर के नहीं देनी चाहिए। इसके अलावा पैरासिटामॉल भी प्लेन ही देना चाहिए। अक्सर लोग पैरासीटामॉल के साथ अन्य दवा का काम्बिनेशन देने लगते है। सर छूकर बुखार का अंदाजा न लगाये। थर्मामीटर से ही बुखार नापें। बच्चों को ज्यादा कपड़े में लपेट कर या ओढ़ा कर लेटाये। ज्यादा तेज बुखार होने पर डाक्टर से परामर्श लें। ऐसे में प्लेटलेट्स कम होने की संम्भावना ज्यादा रहती है।
बाल रोग विशेषज्ञ डा. आशुतोष वर्मा ने बताया कि बच्चों में वारयल डिजीज का संक्रमण तेजी से बढ़ा है। सर्दी जुकाम के साथ बुखार का ज्यादा प्रकोप है। उनका क हना है कि पहले बुखार तीसरे चौथे दिन कम होने लगता था, परन्तु देखा गया है कि कोरोना काल में बुखार पांच से छह दिन तक बना रहता है। यह भी देखने में आया है कि बुखार की तेजी के कारण मुंह में छाले तक आ गये। बुखार में लिक्विड डाइट थोड़ी- थोड़ी देर पर दिया जाना चांिहए। अगर बुखार में बच्चा मना करता है आैर अभिभावक भी टाल देते है कि वह खाना नहीं खा रहा है। ऐसा नही करें। ब्लड प्रेशर गड़बड़ाने लगता है। एंटीबायोटिक किसी भी हालत में बिना डाक्टर के परामर्श के न दें। डा. वर्मा ने बताया कि स्क ली बच्चों में वायरल डिजीज तेजी से फ ैल रही है। उनका कहना है कि हैंड एंट माउथ फुट डिजीज ज्यादा है। उनका कहना है कि बच्चों को बिना डाक्टर को दिखाये, खुद ही दवा नहीं देनी चाहिए।