
लखनऊ। खेल के दौरान या फिर दुर्घटना में घुटने और हड्डियों में लगी चोट का यदि समय पर सही इलाज न मिले तो उम्र बढ़ने पर यह चोट अर्थराइटिस या गठिया की बीमारी का रूप ले सकती है। ऐसे में विशेषज्ञ डाक्टर से समय पर सही इलाज करवाना बेहद आवश्यक है।
यह बात आर्थोपैडिक सर्जन्स ने एक मत से लखनऊ कैडवरिक वर्कशाप वेलफेयर सोसाइटी की ओर से किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में लखनऊ कैडेवरिक नी वर्कशाप और सीएमई -2022 का आयोजन में कही। यह आयोजन केजीएमयू के एनाटामी विभाग में किया गया था। देश में पहली बार इस प्रकार की कार्यशाला में 32 आर्थोपैडिक डाक्टरों ने आर्थो सर्जरी में अलग- अलग की नयी तकनीक सीखा। गुजरात से आये डा. जिग्नेश पंड्या कई नयी तकनीक और इलाज की विधियां इजाद हो चुकी हैं, जिनसे हड्डियों के साथ लिगामेंट इंजरी को भी पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
इस आयोजन में देशभर के विभिन्न राज्यों और नेपाल से भी आर्थो और ज्वाइंट सर्जन्स ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला के संयोजक निदेशक आर्थोस्कोपी व प्रत्यारोपण विशेषज्ञ सर्जन डा. संजय श्रीवास्तव ने बताया कि इस कार्यशाला में जोड़ों और लिगामेंट की सर्जरी की तकनीकी जानकारी डाक्टरों को कैडबर पर दी जाती है। इस दौरान सर्जरी में हो नये अपडेट भी बताये जाते है, ताकि मरीजों का उच्चस्तरीय सर्जरी की जा सके। इसमें कैडेवर पर डाक्टरों को आर्थोस्कोपी, लिगामेंट रिपेयर सर्जरी की तकनीकी जानकारी के अलावा रिकंस्ट्रक्शन समेत अन्य तकनीक बतायी जाती है।
केजीएमयू के स्पोर्ट्स इंजरी विभाग के प्रमुख डा. आशीष कुमार ने बताया कि घुटने या लिगामेंट में इंजरी में तत्काल सही इलाज न कराया जाए तो यह चोट आगे चलकर काफी पीड़ादायक होती है। इसके लिए कैडेवर पर डाक्टर सर्जरी की विभिन्न विधियां सीखते हैं, तो मरीजों की सर्जरी करना उनके लिए आसान हो सकता है।
इस कार्यशाला में सर गंगा राम अस्पताल नई दिल्ली से डा. प्रदीप बगेजा, वाराणसी से डा. विनय पांडे, लोहिया संस्थान से डा. सचिन अवस्थी, अपोलोमेडिक्स अस्पताल से डा. संदीप गुप्ता, डा. प्रवीण कुमार समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।











