लखनऊ। डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों की दलाली के आरोप में रेजिडेंट डॉक्टर सहित उनके साथी डाक्टरों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। बढ़ते दबाव के बाद संस्थान में जांच कर रही टीम ने साथी रेजिडेंट डॉक्टरों को भी जांच में शामिल करने का निर्णय लिया है। यही नहीं इमरजेंसी में तैनात सुरक्षा गार्ड व दूसरे कर्मचारियों को पूछताछ में शामिल किया जा सकता है।
बताते चले कि लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में तैनात रेजिडेंट डॉक्टर पर गंभीर मरीजों को निजी अस्पताल भेजने का आरोप लगा था। आरोप में दलाल व रेजिडेंट का वॉट्सएप चैट भी वायरल हो गया है। जांच शुरु होने के बाद वॉट्सएप चैट के आधार पर संस्थान प्रशासन ने तत्काल रेजिडेंट डॉक्टर को निलंबित कर दिया है। दो अन्य रेजिडेंट डॉक्टरों की ड्यूटी तो बदल दी गयी है। बताया जाता है कि जांच में इमरजेंसी में तैनात आधा दर्जन से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर को पूछताछ में शामिल किया जा सकता हैं। इन रेजिडेंट डाक्टरों से पूछताछ इस लिए आवश्यक हो गयी है क्योंकि यह लोग भी इमरजेंसी में ड्यूटी करते रहते हैं। संभावना व्यक्त की जा रही है कि ड¬ूटी के दौरान निजी अस्पतालों को सूचनाओं के आदान प्रदान में भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। रात में इमरजेंसी से मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट करने में भूमिका हो सकती है।
इसके अलावा संस्थान के पांच से आठ किलोमीटर के दायरे में बने निजी अस्पतालों के दलाल मरीजों को ले जाने में ज्यादा सक्रिय रहते हैं। जांच के दायरे मे इन निजी अस्पताल से आने वालों को शामिल किया जा सकता है। लोहिया से मरीजों की शिफ्टिंग कराने मामले में आस-पास के निजी अस्पतालों की भूमिका संदिग्ध है। साथ ही इमरजेंसी में नियमित आने वालों को भी चिन्हित किया जा रहा है।