लखनऊ । कोरोना काल में ज्यादातर बच्चे ऑन लाइन क्लास के चक्कर में मोबाइल व कम्प्यूटर पर छह से आठ घंटे व्यतीत कर रहे है। इसके साथ ही कुछ बच्चे तीन से चार घंटे के अंतराल में मोबाइल या लेपटॉप का प्रयोग करते है। देखा गया है कि घंटों स्क्रीन पर रहने के कारण बच्चे मानसिक रोगी हो सकते है। यह जानकारी बलरामपुर अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. देवाशीष शुक्ला ने रविवार को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर बलरामपुर अस्पताल सभागार में हुई कार्यशाला में कही।

डा. शुक्ला ने कहा कि कोरोना काल में सभी बच्चोें की पढ़ाई आनलाइन ही चल रही है। ऑनलाइन क्लास करने के बाद बच्चे होम वर्क भी लैपटॉप, कम्प्यूटर या मोबाइल पर ही करते है। इसके साथ ही गेम खेलने के साथ अन्य वीडियो या मूवी देखने के आदी हो जाते है। उन्होंने बताया कि देखा जा रहा है कि बच्चे चिड़चिड़े या एकातं में रहना ज्यादा पसंद करते है। डा. शुक्ला ने बताया कि कोशिश करना चांिहए कि बच्चे आनलाइन क्लास में टीचर की आडियो सुन कर कापी पर लिखने की कोशिश करें आैर स्क्रीन पर कम देखने का प्रयास करें।
प्रो. कृष्ण दत्त के मुताबिक हमें दोस्त बनाने चाहिए जिनसे सभी तरह की बातें शेयर कर सकें। इसके अलावा कोई न कोई शौक होना चाहिए। जो खाली समय में पूरा कर सकें।
कार्यशाला में मौजूद मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज अग्रवाल ने कहा कि केन्द्र से लेकर प्रदेश सरकार तक मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। हम सबको भी अपने अगल-बगल मानसिक स्वास्थ्य के लक्षणों से ग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचाना चाहिए। उन्होंने कार्यशाला में मौजूद समाजसेवियों व एनजीओ वर्कर से अपना योगदान आगे भी जारी रखने का अनुरोध किया। इससे पहले क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट डॉ आशुतोष श्रीवास्तव ने विभिन्न मानसिक विकारों के बारे में विस्तार से बात की।
अंत में एसीएमओ डा. राजेन्द्र कुमार चौधरी ने बताया कि बलरामपुर अस्पताल में जिला मानसिक प्रकोष्ठ और जिला मानसिक क्लीनिक का संचालन किया जा रहा है, जहां पर मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित परामर्श की सुविधा के साथ इलाज की भी व्यवस्था है । इसके अलावा मनकक्ष की भी स्थापना की गई है, जहाँ पर प्रशिक्षित काउंसलर्स लोगों की समस्याओं का समुचित समाधान करते हैं । कार्यक्रम में बलरामपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ हिमांशु चतुर्वेदी, डॉ. एसी सक्सेना समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।