लखनऊ। गोमती नगर में टेंडर पाम अस्पताल जिसमें लगभग कोरोना के 60 मरीज ऑक्सीजन के ऊपर हैं वहां पर गैस खत्म हो गई है और वहां के डायरेक्टर गैस के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनको गैस नहीं मिल रही है। से ज्यादा मरीजों की जान खतरे में है। ऑक्सीजन खत्म होने की सूचना पर स्थानीय पुलिस ने आनन-फानन में किसी अस्पताल से कोशिश करके कुछ और थी जब गैस सिलेंडर पहुंचाएं हैं। लेकिन वहां पर अभी भी अफरा-तफरी मची हुई है। मौके पर पुलिस तैनात कर दी गई है। निजी क्षेत्र के अस्पतालों में ऑक्सीजन न मिलने से मरीजों की भर्ती बंद कर रहे हैं, भर्ती मरीजों को मुसीबत तब आती है, जब अस्पताल प्रशासन ऑक्सीजन की कमी से मरीज को कहीं और ले जाने के लिए निर्देश दे देता है।
राजधानी में सरकारी हो या निजी क्षेत्र का हॉस्पिटल ऑक्सीजन का संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा हैं। निजी क्षेत्र के काफी अस्पतालों की स्थिति लगातार दयनीय होती जा रही है। इन अस्पतालों में कोविड मरीजों की भर्ती बंद की जा रही है। अस्पताल प्रबंधकों का कहना है कि ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति समय पर ना हो जाने के कारण भर्ती मरीजों को ही बचाना मुश्किल हो जाता है और नये मरीजों को भर्ती तो नामुमकिन है । कई अस्पतालों को तो भर्ती मरीजों को ही ऑक्सीजन की कमी से डिस्चार्ज करना पड़ गया । अगर देखा जाए तो छोटे बड़े निजी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की भर्ती प्रभावित चल रही है। इन अस्पतालों की उन्हीं मरीजों की भर्ती हो रही है जो खुद से ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम कर रहे हैं। ऐसे में काफी संख्या में बिस्तर खाली पड़े हैं । इलाज कर रहे डॉक्टरों का दावा है कि कोरोना के मरीज को कम सांस लेने में दिक्कत होने पर ऑक्सीजन देने पर 24 घंटे में तीन ऑक्सीजन सिलेंडर खर्च होते हैं, जबकि आईसीयू और वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज को पांच से सात सिलेंडर लग जाते हैं और इन मरीजों को प्रेशर ऑक्सीजन देनी पड़ती है। इतने बड़े पैमाने पर ऑक्सीजन जुटा पाना कठिन हो रहा है। अगर देखा जाए तो
सिफ्स हॉस्पिटल, मेयो हॉस्पिटल, इंटीग्रल कॉलेज, सीएनएस हॉस्पिटल, राजधानी हॉस्पिटल, कैरियर हॉस्पिटल व कॉलेज सहित काफी संख्या में छोटे बड़े निजी क्षेत्र के अस्पताल शामिल है जहां पर भर्ती प्रभावित चल रही है, उनका मानना है कि अगर ऑक्सीजन की आपूर्ति सामान्य हो जाए तो वह काफी संख्या में मरीजों को भर्ती करके इलाज मुहैया करा सकते हैं।