News स्किन का पीला पड़ जाना ( जौंडिस), गहरे रंग का पेशाब होना, उल्टी आना, स्किन में खुजली होना, भूख कम लगना, चक्कर आना आदि लक्षण दिखे तो चिकित्सक को दिखाना चाहिए। यह लीवर की बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं।
लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा संचय और शरीर से अपशिष्ट विषैले पदार्थों को निकालने आदि का काम करता हुआ है। लीवर हमारे भोजन को पचाने, उसे ऊर्जा में तब्दील करने और वसा संचय जैसे महत्वपूर्ण कामों को अंजाम देता है। ऐसी स्थिति में अगर लिवर कमजोर हो जाए तो व्यक्ति कई बीमारियों से घिर जाता है।
अब लीवर के इलाज की सुविधा एसजीपीजीआई में शुरू हो गई है। यहां सोमवार और शुक्रवार को हेलेटॉलजी विभाग की ओपीडी चल रही है। इस ओपीडी में पूरे प्रदेश के मरीजों को देखा जा रहा है।
प्रदेश में अभी तक किसी भी चिकित्सा संस्थान में हेपेटोलॉजी विभाग नहीं है। देश के प्रसिद्ध हेपेटोलॉजिस्ट में शामिल संस्थान के निदेशक प्रो. आरके धीमान के कार्यभार ग्रहण करने के बाद से ही लोगों को उम्मीद जगी थी। अब यह मूर्त रूप लेने लगी है।19 फरवरी से ओपीडी शुरू कर दी गई है। विभाग शुरू होने के बाद लिवर प्रत्यारोपण भी शुरू करने की तैयारी है। विभाग में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट तैयार कर ली गई है। इसके अलावा लिवर इंटेंसिव केयर यूनिट भी बनाई गई है। एल्बुमिन वार्ड, इंडोस्कोपी, हेपेटिक हेमोडायनेमिक लैब और लिवर संबंधित डिवाइस सुविधाएं भी मिलेंगी।
नए सिरे से होगा अध्ययन
विभाग के शुरू होने से लिवर की बीमारियों पर नए सिरे से अध्ययन और शोध शुरू होगा। लिवर रीजनरेटेड थेरेपी, मेटाबोलिज्म एनालिसिस, स्टूल बैंक भी शुरू करने की तैयारी है। इसी तरह डीएम हेपोटोलॉजी कोर्स और कई फेलोशिप कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे, जिससे देश में नए हेपेटोलॉजिस्ट तैयार हो सकेंगे।