लखनऊ। असहनीय दर्द के कारण बिस्तर पर लेटे रहने को मजबूर किशोरी की न्यूरो सर्जन डा. कुलदीप यादव ने स्पाइन की जटिल सर्जरी कर फिर चलने के काबिल बना दिया। दर्द से निजात पाने व दोबारा चलने पर किशोरी बेहद खुश है। गोमती नगर डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरो सर्जन डॉ कुलदीप यादव ने बताया कि इस प्रकार समस्या छह वर्ष की उम्र तक के 2.5 प्रतिशत और 15 वर्ष की उम्र तक 5 बच्चों में हो सकती है। यह परेशानी जन्मजात के अलावा खेलकूद, चोट लगना या स्पाइन में सक्रमण आदि के कारण भी हो सकती है।
लखनऊ निवासी 14 वर्षीय शालिनी (बदला नाम) मरीज को लगभ एक वर्ष से कमर के निचले भाग में असहनीय दर्द हो रहा था। कई डाक्टरों से इलाज कराने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकलने पर वह बेबस होकर वह एक महीने से बिस्तर पर थी। एक हफ्ते पहले परिजन किसी के परामर्श पर उसे लेकर लोहिया संस्थान के न्यूरो सर्जन डॉ कुलदीप यादव के पास इलाज कराने के लिए पहुंचे। यहां पर डा. यादव ने जांच करने के बाद लिथेसिस बीमारी की समस्या होने की बात बतायी। इसके बाद परिजनो की अनुमति मिलने पर अपनी टीम के साथ सर्जरी प्लान की। डा. यादव ने बताया कि जटिल सर्जरी में उपकरण स्क्रू, राड और टिलीफ की मदद से रीढ़ में स्थित एल 5 और एस 1 हड्डी को फिर से जोड़ा गया। इसके बाद वह मरीज फिर से चलने करने लगी है।
न्यूरो सर्जन डॉ कुलदीप यादव ने बताया कि स्पाइन शरीर का निचला भाग पूरा वजन सहता है। इसमें निचले भाग में (एल 5) और सैकल स्पाइन का ऊपरी हिस्सा (एस वन) के बीच जुड़ाव खत्म हो जाता है तो लिथेसिस बीमारी जैसी समस्या बन जाती है। इसके तहत स्पाइन में एस वन और एल 5 अपनी जगह से खिसक जाते हैं। उन्होंने बताया कि दरअसल स्पाइन में एल 5 शरीर का भार एस वन को रेफर करती है। एस वन कूल्हा फीमर नामक पैर की हड्डी को भार पहुंचा देता है, तभी व्यक्ति संतुलित होकर जमीन पर खड़ा होता है और चलता है। डा. यादव ने बताया कि कमर में या पैर में दर्द रहना, फिर धीरे-धीरे दर्द बढ़ते जाना और अपंग जैसी स्थिति होना, कमर का टेढ़ापन हो जाना। यही नही मरीज को इस बीमारी के दौरान अपने आप पेशाब हो जाती है। डा. यादव का कहना है कि अभी तक आंकड़ों के अनुसार कुछ बच्चों में जन्मजात समस्या होती है। इसके अलावा चोट लगने, कूदने, फुटबॉल खेलते वक्त चोट लगना, ऊंचाई से गिरने, माइक्रो ट्रामा, डिस्प्लास्टिक, रीड में किसी तरह का इन्फेक्शन होना आदि प्रमुख कारण आंकड़ों में बताया गया है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की दिक्कत होने पर किसी विशेषज्ञ न्यूरो डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए।