लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय परिसर में सोमवार को पास जनरेटर, एलईडी पैनल सहित करीब 30 लाख से ज्यादा का बिजली का सामान बिना प्रशासनिक अधिकारी के सूचना के ट्रक में लोड किया जा रहा था। चर्चा है कि केजीएमयू में तैनात इंजीनियर के संरक्षण में लाखों रुपये के बिजली के सामान को बाहर भेजने की तैयारी हो चुकी थी। मौके पर सुरक्षाकर्मियों आैर पीआरओ की सक्रियता इसकी सूचना केजीएमयू के जिम्मेदार अधिकारियों को समय पर सूचना दे दी। इसके बाद ट्रक को सामान बाहर जाने से रोक लिया गया है। केजीएमयू प्रशासन ने मामले की जंाच के लिए हमेशा की तरह 4 सदस्य कमेटी जांच के लिए गठित कर दी है।
केजीएमयू में सोमवार को एक बार फिर बिजली विभाग लाखों रुपए का सामान बिना अनुमति के केजीएमयू परिसर से बाहर भेज रहा था। शिकायत के अनुसार सोमवार की भोर में चार -पांच बजे के आस-पास परिसर में ट्रक आया और क्रेन के जरिए उस पर गोदाम से जनरेटर लाद दिया गया। इसके अलावा अन्य बिजली की अन्य सामग्री भी एलईडी पैनल भी काफी संख्या में आयी थी, उन्हें भी लाद दिया गया। बिजली का सामान लोड होने के बाद ट्रक रवाना होने वाला था कि सुरक्षाकर्मी ने पीआरओ को इसकी शिकायत कर दी। ड¬ूटी पर तैनात पीआरओ ने चीफ प्रॉक्टर प्रो. आर एस कुशवाहा को पूरे प्रकरण को सूचना दे दी। बिजली के लाखों का माल बिना सूचना के बाहर जाने की सूचना मिलते ही केजीएमयू के अधिकारी मौके पर पहुंचे। ट्रक को तत्काल रोक कर शिकायत पुलिस को भी दी गयी है। केजीएमयू प्रशासन ने पूरे मामले की जांच के लिए चिकित्सा अधीक्षक प्रो. अब्बास अली, प्रो. संतोष कुमार, प्रो. कलीम अहमद और प्रो. क्षितिज श्रीवास्तव की कमेटी गठित कर दी है। कमेटी को सप्ताह भर में जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। केजीएमयू के जिम्मेदार सूत्रों की माने तो सीधे तौर पर बिजली के लाखों रुपये का सामान भिजवाने में इंजीनियर एस पी सिंह का खुलासा हुआ है। इस बारे में केजीएमयू के प्रवक्ता डा. सुधीर सिंह का कहना है कि बिजली का सामान बाहर नहीं जाने पाया है। उसे रोक कर सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर दिया गया है। केजीएमयू प्रशासन ने जांच कमेटी गठित कर दी है। जांच रिपोर्ट के आधार पर जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ केजीएमयू प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा।