लखनऊ। डायबिटीज से पीड़ित लोगों को कोरोना संक्रमण का खतरा पचास प्रतिशत अधिक है। अगर उनके कोरोना संक्रमण हो गया, तो उनमें बहुत गंभीर लक्षण और समस्याये होने की दिक्कत हो सकती है। संजय गांधी पीजीआई के डॉ ई भाटिया और उनके सहयोगियों के अध्ययन में पता चला है कि 21.1 प्रतिशत लोगों को डायबिटीज है और इंडिया डायबिटीज केयर इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी से मार्च 2020 के दौरान डायबिटीज का औसत स्तर 8.28 प्रतिशत था। इसलिए डायबिटीज से पीड़ित लोगों को उनके ग्लूकोज लेवल को लेकर ज्यादा सजग रहना चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि इंसुलिन सहित डॉक्टर द्वारा बताई गई दवायें नियमित लेने के अलावा, उन्हें रोज एक्सरसाइज भी करनी चाहिए। इससे बीमारी का असर कम होता है। इंसुलिन टाइप वन डायबिटीज से ग्रस्त लोगों के लिए एकमात्र मेडिकेशन थेरैपी है और यह टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए यह एक बेहतर विकल्प है जिनका ग्लूकोज पर नियंत्रण कमजोर है।
बंसल एट ऑल. द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में, गंभीर बीमारी या आइसीयू में भर्ती होने का जोखिम डायबिटीज से पीड़ित लोगों में दो गुणा बढ़ गया है और हृदय एवं दिमाग से संबंधित ब्लड वेसेल्स की बीमारियों से पीड़ित मरीजों में यह तीन गुणा बढ़ गया है। डायबिटीज एवं हृदय रोगों के बीच सहयोग पर कोविड-19 महामारी के आने से पहले ही काफी शोध हो चुका है।
डायबिटीज से पीड़ित लोगों को स्वास्थ्यवर्धक भोजन पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें नियमित अंतराल पर अपने ग्लूकोज लेवल पर भी नजर रखनी चाहिए। डायबिटीज एवं हार्ट संबंधी बीमारियों से पीड़ित बुजुर्ग कोविड-19 को लेकर ज्यादा संवेदनशील हैं। ऐसे मरीजों को एहतियात बरतनी चाहिए और अपनी गतिविधि को सीमित करना चाहिए। डायबिटीज से पीड़ित लोग अपनी स्थिति के प्रभावी प्रबंधन के जरिये अपने ग्लूकोज लेवल पर नजर रखकर नोवेल कोरोना से लड़ सकते हैं।