डा. सूर्यकांत ने कोरोना के इलाज का प्रशिक्षण दिया डाक्टरों ने

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लखनऊ। योजना भवन में आज प्रदेश के डाक्टरों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया। इससे प्रदेश के समस्त जिला चिकित्सा अधिकारी एवं अन्य डाक्टरों को कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर रोगियों के उपचार के बारे में डाक्टरों को प्रशिक्षित किया गया। यह प्रशिक्षण केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ सूर्यकांत ने अपना एक प्रस्तुतीकरण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से करते हुए से प्रदेश के सभी डाक्टरों को जानकारी दी। डॉ. सूर्यकांत ने बताया की कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण 81 प्रतिशत रोगी साधारण रोगी होते हैं और उनको अस्पताल में भर्ती करना या आईसीयू जैसी जरूरत नहीं पड़ती है। 14 प्रतिशत रोगी थोड़े गंभीर होते हैं, लेकिन उनका भी उपचार साधारण अस्पतालों में किया जा सकता है केवल 5 प्रतिशत रोगी ही ऐसे होते हैं, जिनको आईसीयू की जरूरत पड़ती है या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।

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उन्होंने डाक्टरों को बताया कि कोरोनावायरस के इलाज करते समय अपने को सुरक्षित रखते हुए गाइडलाइन के अनुसार उपचार करें। इसकी मृत्यु दर भी केवल 2.5 प्रतिशत ही होती है। अतः जनता को भी बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। डॉ सूर्यकांत ने बताया की निमोनिया ए आर डी एस जैसी स्थितियां कोरोनावायरस के रोगी को गंभीर बनाती हैं अगर कोरोनावायरस रोगी के सांस की गति 25 प्रति मिनट से ज्यादा है रोगी की नब्ज या दिल की गति 120 से ज्यादा है तथा रोगी का सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर 90 से कम है तो रोगी को आईसीयू उपचार की आवश्यकता है तथा अगर बेहोशी या उसकी चेतना अवस्था में भी गिरावट आती है, तो भी आईसीयू के उपचार की जरूरत पड़ सकती है इन्हीं में से कुछ गंभीर रोगियों को वेंटिलेटर की जरूरत भी पड़ सकती है।

डॉ सूर्यकांत ने सभी चिकित्सकों को अपनी सुरक्षा बनाए हुए संकट की इस घड़ी में सभी रोगियों का संवेदना के साथ उपचार करने की अपील की और कहा किस संक्रमण के सभी बचाओ तथा उपचार की गाइडलाइंस मौजूद है उनका पालन करें। इस अवसर पर प्रदेश के कोरना संक्रमण के इंचार्ज डॉ विकास सेंदु अग्रवाल कथा स्वास्थ्य विभाग की निर्देशिका डॉ मिथिलेश चतुर्वेदी तथा उनकी समस्त टीम मौजूद रहे।

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