लखनऊ। यदि युवाओं का लगातार ब्लड प्रेशर बढ़ा बना रहता है। इसके चलते 50 फीसदी से अधिक युवाओं में हार्मोनल, थायराइड और डायबिटीज हो सकती है। अन्य में गुर्दे की दिक्कत होने की आशंका होती है। चिकित्सा भाषा में इसे सेकेंड्री हाइपरटेंशन कहते हैं। कम उम्र की युवा भी इसकी जद में आ रहे हैं। यह जानकारी शुक्रवार को पीजीआई में इंडियन सोसाइटी आफ नेफ्रोलाजी एवं नार्थ जोन के वार्षिक अधिवेशन में आयोजक सचिव डॉ. नारायण प्रसाद ने दी। अधिवेशन का उद्घाटन करते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में डाक्टरों का अपडेट रहना मरीजों के लिए बेहतर रहता है। अधिवेशन में पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमान भी मौजूद थे।
संस्थान के नेफ्रोलाजिस्ट डॉ. धर्मेंद्र भदौरिया ने बताया कि 10 फीसदी लोगों में ब्लड प्रेशर का कारण सेकेंड्री हाइपरटेंशन होता है। इनमें गुर्द की परेशानी होती है। खून आपूर्ति करने वाली वाहिका में रूकावट होने पर रेडियोलाजिकल इंटरवेंशन तकनीक कारगर है। इससे रुकावट को दूर किया जाता है। लंबे समय तक ब्लड प्रेशर नियंत्रित नही होने पर गुर्दे के साथ ही दिमाग, दिल प्रभावित होता है। अधिवेशन में नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अमित गुप्ता, डॉ. रवि कुशवाहा के अलावा देश भर के गुर्दा रोग विशेषज्ञ मौजूद रहे।
अमेरीका के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. राजीव अग्रवाल बताते हैं कि ब्लड प्रेशर नियंत्रित न होने की वजह 50 फीसदी लोग दवा की मात्रा और खुराक सही वक्त पर न लेने का कारण होती है। ब्लड प्रेशर नियंत्रित होने पर लोग दवा खाना बंद कर देते हैं। कुछ समय ब्लड प्रेशर के अचानक बढ़ने से ब्रोन स्ट्रोक की आशंका रहती है। सोडियम की कमी की वजह से भी ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को खाने में सब्जी और फल की मात्रा बढ़ाने की जरूरत होती है। नियंत्रित न होने पर डॉक्टर की परामर्श लें।
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