लखनऊ। होम्योपैथिक दवाओं का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। इससे मरीजों को सस्ता और जड़ से बीमारी खत्म करने वाला इलाज मिलता है। केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार तक आयुष को पुरजोर तरीके से बढ़ा रही है। यह बात सोमवार को कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने कही। डालीबाग के गन्ना संस्थान परिसर में दो दिवसीय 25वीं राष्ट्रीय होम्योपैथिक कांफ्रेंस का सोमवार को समापन हुआ। अतिथि दुग्ध एवं पशुधन मंत्री लक्ष्मी नारायण, एमएलसी कांति सिंह, रिसर्च सोसायटी ऑफ होम्योपैथी के चेयरमैन डॉ. सीपी सिंह, दीप प्रज्जवलित किया। यहां पर डॉक्टरों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
यहां आए डाक्टरों ने एक मत से कहा कि होम्योपैथिक की प्रैक्टिस में लगातार देखा जा रहा है कि कई डॉक्टर इलाज कराने पहुंच रहे मरीजों 6को कई तरह की दवा दो-तीन शीशियों में देने के साथ ही बाजार की बनी हुई होम्योपैथी मेडिसिन या सिरप आदि देते है, लेकिन होना यह चााहिए कि होम्योपैथ में सिंगल मेडिसिन प्रेस्क्राइब को बढ़ावा दिया जाए। मरीजों को दो या तीन दवाएं देने की बजाए एक ही दवा दी जाए। उसका फर्क देखने के बाद ही दवा में बदलाव किया जा सके। यहां मुख्य रूप से उपाध्यक्ष डॉ. एसडी सिंह, कार्यक्रम संयोजक डॉ. प्रतुल भटनागर, कोलकाता के डॉ. एलएम खान, कानपुर से डॉ. अनिल विश्वकर्मा, डॉ. जितेंद्र वर्मा, डॉ. पूर्णिमा शुक्ला, डॉ. रमेश श्रीवास्तव ने मंच पर डॉ. रेनू महेंद्रा, डॉ. अमित नायक, डॉ. प्रदीप राय, डॉ. बीपी वर्मा, डॉ. अरुण, डॉ. रुखसाना, डॉ. प्रकाश जोशी, डॉ. अंजू पवार, डॉ. कविता, डॉ. उर्मिला सिंह, डॉ. दीपा व छात्र भी रहे।
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