लखनऊ। मां को ही स्वास्थ्य केन्द्र के स्वास्थ कर्मचारियों ने ढाई हजार का नेग न मिलने पर चार घंटे तक देखने तक नहीं दिया। पेशे से मजदूर परिजनों ने जब इतने रुपये देने में आना-कानी की आैर अपने मासूम को देने की फरियाद की, फिर भी स्वास्थ कर्मी नहीं पसीजे। मामला निगोहां के लालपुर प्राथमिक उपकेंद्र का है। पीड़ित ने जब केद्र के अधीक्षक से शिकायत कर शिशु दिलाने की गुहार लगायी, तब कहीं जाकर माँ को शिशु मिल सका।अधीक्षक ने कर्मचारियों पर कठोर कार्यवाही की बात कही है। वहां के लोगों का कहना है कि वहां पर स्वास्थ्य कर्मी मनमाने तरीके से शिशु होन पर नेग के नाम पर वसूली करते है। कई बार शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है।
बैरीसालपुर गांव निवासी मजदूर सत्यदेव की पत्नी बब्ली की डिलवरी होनी थी, परिवारीजनों के मुताबिक गुरुवार की दोपहर अधिक पीढा होने पर वह गुरुवार को डिलवरी के लिए लालपुर स्वारथ उपकेंद्र लेकर पहुंचे। यहां पर आशा बहू उषा देवी, एनएम नीलम तिवारी, गायत्री व दाई प्रेमा ने डिलीवरी कराई। गर्भवती महिला ने शिशु को जन्म दिया। इसके बाद आशा बहु, व दाई ने ढाई हजार रुपए नेग की मांग करने लगे और कहने लगे कि मुंह दिखायी ढाई हजार रुपए पड़ते हैं। इस पर महिला के परिजन इतने पैसे न होने की बात करते हुए पांच सौ रुपये देने लगे। इस पर सफाई कर्मी शुकुरु ने कहा कि जब पैसे नही थे तो तुमको यहां मरीज लाना नही था।
जिसके बाद आशा बहु व अन्य कर्मचारी अड़ गए और जच्चा बच्चा को कक्ष में बंद कर दिया और कहा जाओ पहले पैसे लेकर आओ। ग्रामीणों से जब यह जानकारी हुई तो उनका कहना था कि तो सरकारी है, यहां पर किसी भी प्रकार के शुल्क या नेग नही पड़ते। जिसके बाद पीड़ित परिवार ने ग्रामीणों के सहयोग से सीएचसी अधीक्षक से मोबाइल फोन पर मामले की शिकायत की । यह सुन अधीक्षक तुरन्त केंद्र के कर्मचारियों से संपर्क कर उन्हें फटकार लगाई जिसके बाद जच्चा बच्चा को छोड़ा गया। पीड़ित परिवार ने बताया कि केंद्र से बिना दवा के ही उसे आना पड़ा। अधीक्षक मिलिन्ध वर्धन ने बताया कि शुक्रवार पीड़ित के बयान दर्ज करने के बाद दोषियों पर कार्यवाही की जायेगी।
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