लखनऊ। भारत में हर आठ मिनट में सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय के मुख पर होने वाले कैंसर) से एक महिला की मौत हो जाती है। इसका प्रमुख कारण अशिक्षा, जागरूकता की कमी है। यह बात आज यहां पूना की डा स्मिता जोशी ने अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कनवेन्शन सेन्टर में स्क्रीनिंग एण्ड ट्रीटमेन्ट आफ प्री कैंसर पर आयोजित कार्यशाला में कही। इण्डियन सोसायटी आफ कालपोस्कोपी एण्ड सर्वाइकल पैथोलाजी (आईएससीसीपी), एशिया अोशियानिया रिसर्च
आर्गेनाइजेशन आन जेनिटल इनफेक्शन्स एण्ड नियोप्लाशिया, इण्डिया (एअोजिन इण्डिया) व केजीएमयू की आब्सटेट्रिक एण्ड गायनकोलाजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में उन्होंने कहा कि यह समस्या सभी वर्ग के लोगों में है। इस पर दो प्रकार से नियंत्रण किया जा सकता है। पहला नियमित जांच 25 साल से 65 साल तक की महिलाएं तीन से पांच साल के अंतराल पर जांच करायें। इसकी जांच का सरल तरीका है। यदि किसी में ग्रीवा कैंसर की शुरूआत है तो इसे इलाज से ठीक किया जा सकता है।
इस अवसर पर सफदरजंग अस्पताल की डा सरिता श्याम सुन्दर ने कहा कि पल्स पोलियो अभियान की भांति इसके वैक्सीन लगाने का भी काम अभियान के तौर पर चलाना चाहिए। नो साल से 15 साल की उम्र की लडकियों में वैक्सीन की दो डोज देकर ग्रीवा कैंसर से सुरक्षित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अशिक्षा व डाक्टर के पास न जाने की वजह से भी यह समस्या बढ रही है। इसके साथ ही उन्होंने डाक्टरों और नर्सों को ट्रेनिंग देने की भी बात कही। उन्होंने बताया कि गरीब तबके में यह समस्या ज्यादा है। ज्यादा लोगों से यौन सम्बंध रखने वालों में इसका खतरा अधिक होता है। कम उम्र में विवाह, प्रतिरोधक क्षमता कम होने, धूम्रपान,अधिक बच्चे पैदा करने और यौन सम्बंधी रोगों की वजह से ज्यादा खतरा होता है। इस सम्बंध में एअोजिन इण्डिया की एग्जीक्यूटिव मेम्बर व केजीँएमयू की आब्सटेट्रिक एण्ड गायनकोलाजी विभाग की प्रोफेसर एण्ड यूनिट हेड डा निशा सिंह ने बताया कि एक दिवसीय कार्यशाला में देश के विभिन्न हिस्सों से स्त्री रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। सभी ने इस पर चर्चा करते हुए जागरूकता पर विशेष बल दिया। इसके साथ ही चिकित्सकों को भी प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
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