हायर एंटीबायोटिक से बिगड़ रहा लाइन ऑफ ट्रीटमेंट

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लखनऊ- ज्यादातर अस्पतालों में मरीजों को जल्दी ठीक करने के चक्कर में हायर एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग से मरीज में ड्रग रजिस्टेंस बढ़ता जा रहा है। ऐसे में मरीज जब किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय या अन्य उच्च चिकित्सा संस्थान इलाज के लिए पहुंचता है, तो ड्रग रजिस्टेंस बढ़ जाने के कारण लाइन ऑफ ट्रीटमेंट में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

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एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग लोग मर्जी के अनुसार लगातार कर रहे है। अगर देखा जाए तो कि लोग सर्दी जुकाम में गले में दिक्कत होने पर एजथ्रोमाइसिन दवा का सेवन खुद या मेडिकल स्टोर दुकानदार के परामर्श पर कर लेते है। इसके अलावा बुखार होने पर बिना परामर्श के पैरासिटामॉल के साथ एंटीएलर्जी तथा एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग कर लेते है। इनमें सिप्रोफ्लॉक्सिन, ओफ्लॉक्सासिन या सेफेक्जीन एंटीबायटिक दवा का प्रयोग करने लगते है, जब कि विशेषज्ञों की माने तो बुखार में तत्काल एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जब कि विशेषज्ञ डाक्टर आपको परामर्श दें। यही नही कुछ निजी अस्पतालों में आईसीयू में भर्ती मरीज या गंभीर मरीज को बिना कल्चर रिपोर्ट के हाईडोज एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग किया जाना लगा है, जबकि उस एंटीबायोटिक दवा की मरीज को आवश्यकता नही होती है।

केजीएमयू के बाल रोग विभाग के विशेषज्ञ डा. सिद्धार्थ का कहना है कि उनके पास काफी संख्या में ऐसे बच्चे विभिन्न बीमारियों के आते है जो कि बिना विशेषज्ञ या किसी डाक्टर के बताये एंटीबायटिक व अन्य दवाओं का सेवन कर रहे तो जो कि आवश्यक नही है। ऐसे में उनमें बीमारी को डाइग्नोस करने में दिक्कत होती है। इस दौरान बच्चे को कुछ गड़बड़ हो जाती है तो डाक्टर पर आरोप लगता है कि इलाज नहीं किया। उन्होंने बताया कि ज्यादातर केमिस्ट खुद डाक्टर बना है जो कि मरीजों के लिए सबसे ज्यादा घातक है। इसकी प्रकार क्रिटकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख डा. वेद प्रकाश बताते है कि हायर एंटीबायोटिक का प्रयोग सबसे ज्यादा छोटे अस्पताल व ग्रामीण के डाक्टर कर रहे है।

बिना कोई जांच के हायर एंटीबायोटिक दवा दे देते है। उन्होंने बताया कि जब मरीज गंभीर हालत में आता है आैर ऐसे में ड्रग रजिस्टेंस बढ़ने के कारण अन्य दवाओं का असर नहीं करती है। लाइन ऑफ ट्रीटमेंट में दिक्कत आने लगती है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग की वरिष्ठ डा. शीतल वर्मा का कहना है कि एंटीबायोटिक दवाओं के पॉलिसी बनी हुई है। फिर मरीज को एंटीबायोटिकदवाओं का सेवन बिना परामर्श के नहीं करना चाहिए।

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