लखनऊ। कांगो फीवर यह एक वायरल बुखार है, जो कि जानवरों के संपर्क में रहने से फैलता है। आमतौर पर इसके शिकार जानवर होते हैं, लेकिन उनमें यह वायरस ज्यादा एक्टिव नहीं रहता है, परन्तु यह वायरस मनुष्यों में सम्पर्क में आते ही क्रियाशील होकर खतरनाक हो जाता है। अक्सर इस बुखार में जरा सी चूक मरीज का कारण बन जाती है। इसकी जांच में एनआईवी पुणे की वायरोजिकल लैब में हो पाती है। हालंाकि यह संक्रमित बुखार प्रदेश में नही आया है। फिर भी सतर्क व जागरूक रहना आवश्यक होता है।
वर्तमान में राजस्थान व गुजरात में हाल में कांगो फीवर का प्रकोप बहुत तेजी से फैल रहा है। इस वायरल बुखार की चपेट में आकर अब तक गुजरात में 3 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि लगभग 8 लोग इस वायरस की चपेट में हैं। कांगो फीवर एक वायरस के जरिए फैलने वाली बीमारी है, जो कि जानवरों से इंसानों में फैलती है। जानवरों की स्किन में पाया जाने यह जीवाणु , जिसका नाम हिमोरल यानी आम बोल चाल की भाषा में पिस्सू क हते है। कांगो फीवर की चपेट में आने का खतरा सबसे अधिक उन लोगों को होता है, जिनके घर में पालतू जानवर जैसे- गाय, भैंस, कुत्ता या भेड़-बकरी पले होते है आैर वह उनके बेहद सम्पर्क में रहते है। विशेषज्ञों की माने तो यह वायरस सबसे पहले क्रीमिया देश में पाया और पहचाना गया। यह वायरस पूर्वी व पश्चिमी अफ्रीका में अधिक पाया जाता है, जो कि ह्यालोमा टिक से पैदा होता है। भारत में पहली बार इस रोग की दस्तक गुजरात में हुई। यह काफी खतरनाक और जानलेवा रोग है, जो कि 3 से 9 दिन में ही काफी गंभीर व जानलेवा हो सकता है।
क्या है कांगो फीवर?
केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजी की वरिष्ठ डाक्टर व शोधकर्ता डा. शीतल का कहना है कि प्रदेश में अभी इस फीवर के कोई सम्भावना नही दिखी है। फिर भी किसी भी संक्रमित बीमारी से बचाव व जागरूकता ही कारगर उपाय है। उन्होंने इस बुखार के बारे में बताया कि कांगो फीवर एक वायरल बुखार है, जिसकी चपेट में मरीज की मौत का बहुत अधिक खतरा होता है। इसका वायरल इन्फेक्शन से पीड़ित 30 से 80 फीसदी यह बीमारी टिक्स या पिस्सू के जरिए इंसानों में फैलती है। कांगो फीवर की शुरूआत पूरे शरीर व मांसपेशियों में दर्द और थकान के साथ होती है और लगभग 3-9 दिन में यह वायरस पूरे शरीर को संक्रमित कर देता है।
कांगो फीवर के लक्षण
कांगो फीवर के कुछ शुरूआती सामान्य से लक्षण पूरे शरीर और मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द, चक्कर, आंखों में जलन और तेज बुखार आना है। अक्सर कांगो फीवर में मरीज के शरीर में इंटरनल ब्लीडिंग हो जाती है। इसके अलवा इस बीमारी में मरीज के शरीर के महत्वपूर्ण अंग एक साथ काम करना बंद कर देते हैं। कुछ मामलों में संक्रमित मरीज में चिड़चिड़ापन और आंखों से पानी आने की समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा उल्टी, पीठ में दर्द और ब्लड प्लेटलेट्स का तेजी से गिरना इस बुखार के प्रमुख लक्षण हैं। इस बुखार में देखा गया है कि अगर इलाज करने वाले में जरा सी चूक में संक्रमित होने की आशंका रहती है।
कांगो फीवर से बचाव
हालांकि कांगो फीवर के इलाज के लिए कोई विशेष टीका उपलब्?ध नहीं है। यह डेंगू बुखार के समान ही है। इस रोग में सावधानी ही बचाव है। इसलिए यदि आपको कांगो फीवर से जुड़े कोई भी लक्षण खुद में दिखें, तो तुरंत डाक्?टर से अपने खून की जांच करवाएं। इसके अलावा घर के पालतू जानवरो की सफाई का विशेष ध्?यान रखें। बहुत से लोग जानवरों के संपर्क में अधिक रहते हैं, जिसकी वजह से वह कई अन्?य बीमारियों से भी पीड़ित हो जाते हैं। इसलिए खासतौर पर कुत्?ते या बिल्?ली जिन्?हें कि कई दफा हम अपने पास सुलाते हैं या फिर लाड़-प्?यार करते उनसे काफी चिपकते हैं, तो ऐसे पालतू जानवरों से दूरी बनाए रखें।
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