अगर इसका प्रयोग होता रहे तो रूक सकती है हेड इंजरी

0
1041

लखनऊ। वाहन चलाते वक्त हेलमेट का प्रयोग करने से 90 फीसदी हेड इंजरी की घटनाओं को रोका जा सकता है। अगर आंकड़ों को देखा जाए तो प्रदेश में करीब 20 हजार लोग प्रत्येक वर्ष दम तोड़ देते हैं। गंभीर हेड इंजरी के मरीजों में देखा गया है कि लगभग उम्र भर नर्सिंग केयर की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि मोटर साइकिल चलाते वक्त चालक को ही नहीं पीछे बैठने वाले व्यक्ति को भी हेलमेट लगाना आवश्यक है। यह जानकारी महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी मेडिकल साइंड एंड टेक्नोलॉजी जयपुर के अध्यक्ष एवं एम्स के पूर्व निदेशक प्रो. एमसी मिश्रा ने इंडियन सोसायटी ऑफ ट्रामा एंड एक्यूट केयर की नौवीं राष्ट्रीय कार्यशाला में दी।

Advertisement

प्रो. मिश्रा कहा कि बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के कारण सड़क सुरक्षा अब गंभीर विषय होता जा रहा है। इसके लिए सभी को संयुक्त भागीदारी निभानी होगी। अगर सभी सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करे,तो प्रत्येक होने वाली करीब डेढ़ लाख एक्सीडेंटल मौतों को टाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि नेशनल क्राइम रिकार्डस ब्यूरो की रिपोर्ट वर्ष 2016 के मुताबिक देश में प्रत्येक वर्ष दुर्घटनाओं में 431556 लोगों की मौत हो जाती है। यह आंकड़ा हर वर्ष करीब पांच से छह फीसदी की दर से बढ़ रहा है। देश में कार्यस्थल पर होने वाली दुर्घटना में हर पांच मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक आजीवन विकलांगता होने की एक बड़ी वजह एक्सीडेंट से होने वाली इंजरी बनती जा रही है। विकलांगता की वजह के मामले में विभिन्न गंभीर बीमारियों को पीछे छोड़ते हुए एक्सीडेंट नौवें स्थान पर है, लेकिन जिस गति से यह बढ़ रही है वर्ष 2020 में तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगी।

एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रो. रविकांत ने कहा कि यूपी ही नहीं भारत ऐसा देश है, जहां लोग सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं करते। इसमें यूपी की स्थिति काफी खतरनाक है। सड़क दुर्घटनाओं को उन्होंने तीन हिस्सों होस्ट, इवेंट और एनवायरमेंट में बांटते हुए उसके कारण बताए। इसके पहली श्रेणी में शराब पीकर गाड़ी चलाना, जागरुकता की कमी, नियमों में शिथिलता व लापरवाह रवैया प्रमुख है। दूसरा जो दुर्घटना के कारण बनते हैं, उसमें सुरक्षा उपाय में कमी यानि ब्रोक कम होना, कार में एयरबैग न होना, घटिया टायर, गाड़ी पर अधिक भार रखना व तेज गति में चलाना है। तीसरा कारण जिसे दुरस्त किया जा सकता है, इसमें सड़कों का सही निर्माण करना, ताकि दूर तक उचित प्रकार देखा जा सके।

सड़को की स्थिति सही हो। सिग्नल का प्रयोग करना। गति सीमा तय करना तथा शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने बताया कि 45-50 प्रतिशत दुर्घटनाएं भारी वाहनों से होती हैं। उन्होंने परामर्श दिया कि एक डाक्टर को सात पैरा मेडिकल स्टाफ की आवश्यकता होती है ,घायल के इलाज में इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में प्रदेश में होने वाली दुघर्टनाओं से निपटने के लिए नौ उच्च स्तर के आधुनिक ट्रामा सेन्टरों की जरूरत है।

अब PayTM के जरिए भी द एम्पल न्यूज़ की मदद कर सकते हैं. मोबाइल नंबर 9140014727 पर पेटीएम करें.
द एम्पल न्यूज़ डॉट कॉम को छोटी-सी सहयोग राशि देकर इसके संचालन में मदद करें: Rs 200 > Rs 500 > Rs 1000 > Rs 2000 > Rs 5000 > Rs 10000.

Previous articleअगले तीन साल में प्रदेश से इंसेफेलाइटिस खत्म करने में होंगे सफल : सीएम
Next article70-90 प्रतिशत लोगों में विटामिन-डी की कमी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here