लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में तीन सौ बारह वरिष्ठ रेजीडेंटों की नियुक्ति मामले में अभी तक जांच कमेटी के अधिकारी लुका-छुपी का खेल रहे है। जांच कमेटी ने रिपोर्ट देने के बजाय कुलसचिव ने नाम वापस ले लिया है। अब चिकित्सा अधीक्षक को शामिल किया गया है। बताते चले कि सप्ताहभर में जांच रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन 15 दिन बाद भी कमेटी की सिर्फ एक बैठक हो पाई है। केजीएमयू में तीन सौ बारह सीनियर रेजीडेंट की नियुक्ति में आरक्षण की अनदेखी करने के मामले में मुख्यमंत्री के विशेष सचिव ने केजीएमयू कुलसचिव से आख्या मांग रखी है।
केजीएमयू प्रशासन ने तत्काल जांच कमेटी गठित कर दी थी। इस कमेटी में कुलसचिव राजेश कुमार राय, छात्र अधिष्ठाता प्रो. जीपी सिंह, पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रो. जेडी रावत, डेंटल संकाय से प्रो. एपी टिक्कू और फिजियोलॉजी विभाग के प्रो. नरसिंह वर्मा को शामिल किया गया। अभी तक कमेटी की एक बैठक हुई। इसके बाद अचानक कुलसचिव राजेश कुमार राय ने नाम वापस ले लिया। नाम हटाने के लिए कहा गया कि वह नियोक्ता की भूमिका में होते हैं। इस लिए जांच टीम में शामिल नही होंगे। ऐसे में उनकी जगह चिकित्सा अधीक्षक प्रो. वीके ओझा को टीम में शामिल किया गया।
बताया जाता है कि सीनियर रेजीडेंट अस्थाई पद है। इनका नियोक्ता सीएमएस और एमएस होता है। अब प्रो. वीके ओझा को जांच कमेटी में शामिल करने पर चर्चा हो रही हैं। इस संबंध में मीडिया प्रभारी प्रो. संदीप तिवारी का कहना है कि जांच कमेटी में किसी को भी रखा जा सकता है। कमेटी जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट कुलपति को देगी। एक बार की बैठक हो चुकी है।
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