चलती गाड़ी में गैंगरेप, फिर हत्या के बाद शव नदी किनारे फेंका

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लखनऊ । राजधानी में 27 वर्षीय युवती की हत्या की वारदात ने पुलिस के उन तमाम अभियान के दावों की पोल खोल दी है। जिनके बुते कानून व्यवस्था बेहतर रखने का दम लखनऊ पुलिस करती है। बेखौफ हत्यारों ने पहले युवती को गाड़ी में अगवा किया उसके बाद सामूहिक दुष्कर्म किया और विरोध पर गाड़ी में ही हत्या कर शव रायबरेली के सई नदी में ठिकाने लगा दिया। पुलिस की सक्रियता देखिए कि इस बीच 4 थानों की पुलिस चेकिंग का दम भर्ती रही और हत्यारे युवती के शव को गाड़ी में लेकर घूमते रहे। लेकिन पुलिस को भनक भी ना लगी।

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बीते 3 अगस्त को पारा के हँसखेड़ा निवासी 27 वर्षीय युवती के गायब होने पर परिजनों ने अनहोनी की आशंका जता पारा पुलिस से शिकायत की। परिजनों ने पुलिस को ये भी सूचना दी कि संजय यादव की रियल स्टेट कम्पनी में वो काम करती है और 3 लाख के लेनदेन को लेकर संजय से उसका विवाद भी हुआ था। बावजूद इसके पुलिस लापरवाह बनी रही और दो आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद युवती की हत्या का राजफाश हुआ। आरोपियों ने पुलिस के सामने इकबालिया जुर्म कुबूल करते इस वारदात की जो कहानी बया की वो कड़ी दर कड़ी पुलिस की लापरवाही उजागर कर रही है।

सुरेशचन्द्र रावत, एसपी ईस्ट का कहना है अगस्त को आरोपी संजय यादव ने युवती को आशियाना के बंगला बाजार बुलाया और अपनी कार में बिठाकर बछरावां ले गए। जहां साले गुड्डू, अजय, अवधेश, रामनारायण के साथ मिलकर पहले दुष्कर्म किया बाद में गला दबाकर हत्या कर शव को रायबरेली के सई नदी में ठिकाने लगा डाला। इस बीच आरोपी युवती को लेकर चार थाना क्षेत्रों आशियाना, पीजीआई, नगराम और रायबरेली बछरावां यानी कि तकरीबन 50 किलोमीटर तक कार दौड़ाते रहे और चेकिंग में जुटी पुलिस को भनक भी ना लगी। मामले में सबसे ज्यादा लापरवाही पारा एसओ त्रिलोकी सिंह की सामने आई है जिसने गुमसुदगी दर्ज कर युवती को खोजने की जहमत नही की। यदि एसओ ने सही समय पर कार्यवाही की होती तो शायद आज युवती जिंदा होती। बहरहाल मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर शव नदी से बरामद किया है जबकि मुख्य आरोपी संजय यादव अभी भी फरार है।

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