लखनऊ। किं ग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डेंटल यूनिट में रेजीडेंट भर्ती परीक्षा में पेपर लीक प्रकरण ने परीक्षा निरस्त करके जांच कमेटी गठित कर दी, लेकिन अभी तक प्रमुख आरोपी को नोटिस तक जारी नहीं किया गया है। ऐसे में जांच कमेटी पारदर्शिता पर प्रश्न चिह्न उठ रहा है। डेंटल यूनिट में 21 जुलाई को ओरल पैथोलॉजी एंव माइक्रोबायोलॉजी विभाग में तीन रेजीडेंट के पद के लिए नौ छात्र-छात्राओं ने परीक्षा दी। लेकिन इस परीक्षा में पेपर आउट हो गया। इससे परीक्षा व्यवस्था भी सवालों के घेरे में आयी है। भर्ती परीक्षा के लिए कई परीक्षकों से प्रश्नपत्र तैयार कराते हैं। परीक्षा के कुल सवालों से करीब 10 गुना प्रश्न तैयार होते हैं।
सभी परीक्षकों से प्रश्न लेने के बाद उसे नए सिरे से मंजूरी दे दी जाती है। परीक्षा सेल ने सात परीक्षक से प्रश्न लिए गये, लेकिन ज्यादातर सवाल एक ही परीक्षक द्वारा दिए गए पेपर से जारी कर दिए गए। इतना ही नहीं परीक्षक ने एक ही मेल में प्रश्न और उसके जवाब दोनों भेजे हैं। प्राथमिक जांच में पाया गया कि यह प्रक्रिया गलत है। ऐसी स्थिति में पूरी परीक्षा व्यवस्था ही सवालों के घेरे में हैं।
जांच टीम में डीन स्टूडेंट वेलफेयर, अतिरिक्त परीक्षा नियंत्रक, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और आईटी सेल प्रभारी है। अब लोगों का कहना है कि डेंटल यूनिट के डीन के खिलाफ ही दूसरे डीन कैसे जांच करेंगे। जब परीक्षा सेल की जांच के घेरे में आ गया है, तो अतिरिक्त परीक्षा नियंत्रक को कमेटी में जांच कैसे कर सकते है। चर्चा है कि जांच कमेटी मामले को पटाक्षेप करने के लिए बनी है, दोबारा परीक्षा के बाद मामला अपने आप शांत हो जाएगा।
केजीएमयू के प्रवक्ता प्रो. संदीप तिवारी का कहना है कि कुलपति को यह विशेषाधिकार है कि वह कमेटी में किसी को भी रख सकते हैं। कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। कमेटी कहेगी तो संबंधित को नोटिस भी जारी किया जाएगा।
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