न्यूज। स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के मानकीकरण के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ”सुविधाओं एवं सेवाओं के न्यूनतम मानकों”” का प्रस्ताव किया है। एलोपैथी आैर आयुष विधि से इलाज करने वाली संस्थाओं को पंजीकरण के लिए अब इन मानकों का पालन करना होगा। नैदानिक स्थापना (केंद्र सरकार) नियम 2019 के लिए संशोधनों में प्रस्तावित ”न्यूनतम मानकों”” के मुताबिक आधारभूत ढांचे, मानवशक्ति, उपकरण, दवाओं, समर्थन सेवाओं आैर रिकॉर्ड पंजीकरण के मामलों में निर्धारित नियम-कायदों का पालन नहीं करने वाली स्वास्थ्य संस्थाओं का पंजीकरण नहीं किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि नैदानिक स्थापना (पंजीकरण एवं नियमन) कानून 2010 के तहत कोई क्लिनिकल संस्था संचालित करने के लिए पंजीकरण जरूरी है।
इस संबंध में एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ”वर्तमान में सिर्फ चिकित्सीय निदान प्रयोगशालाओं के लिए न्यूनतम मानक उपलब्ध हैं, जिन्हें 21 मई 2018 को अधिसूचित किया गया था। प्रस्तावित संशोधनों का मकसद कई संस्थाओं की ओर से मुहैया कराई जा रही स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के मानक में एकरूपता लाना है।”” नैदानिक स्थापना (केंद्र सरकार) तीसरा संशोधन नियम की अधिसूचना के मसौदे को स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर डाल दिया गया है आैर हितधारकों से 43 दिनों के भीतर टिप्पणियां मांगी गई हैं।
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