सर्वांगासन – योग विशेषज्ञों के अनुसार इस आसन में हमारे शरीर के सभी अंगों का व्यायाम होता है। इसलिए इसका नाम सर्वांगासन रखा गया है।
सर्वांगासन करने की विधि –
जमीन पर पीठ के बल लेट जाइए उसके बाद दोनों पैरों को आपस में मिलाकर कमर तक के भाग को जमीन से ऊपर उठाते हुए लाएं। पहली बार में यह प्रक्रिया आराम से धीमे-धीमे करनी है उसके बाद दोनों हाथों के सहारे अपनी कमर को पकड़ लीजिए। पंजे खींचे हुए जांघों और टांगों को बिल्कुल सीधा रखिए। यहां पर ध्यान देने बात यह है कि जांग है घुटने और टांगे बिल्कुल सीधी होनी चाहिए। ठोढ़ी कंठ कूप से लगी होनी चाहिए। मुख्य स्थितियां 90 अंश के कोण पर स्थित होने चाहिए। सांस लेने में श्वास की गति सामान्य रखिए तो बहुत बेहतर रहता है। इस आसन में खासतौर पर यह ध्यान रखना है जितनी देर आप इस आसन को आराम से कर सकते हैं इतनी देरी करें। शरीर के किसी भी अंग को झटके से ऊपर नीचे ना करें। कोठी रिलैक्स होकर यह आसन करना है।
सर्वांगासन की सावधानियां –
जो लोग गर्दन दर्द, स्लिप डिक्स ,हाई ब्लड प्रेशर आंखों की कमजोरी और गर्भवती महिलाएं इस आसन का प्रयोग बिल्कुल ना करें। इस आसन से मिलने वाले लाभ…. इस आसन को ठीक ढंग से करने पर रक्त की शुद्धि के अलावा मस्तिष्क और हृदय के साथ फेफड़ों की मजबूती बढ़ती है। यह आसन नेत्र ज्योति को बढ़ाने में कारगर होता है। यह आसन आंख कान गले और हृदय के विकारों को दूर करने के बाद संगीत प्रेमियों के लिए भी उपयोगी साबित होता है। कहां जाता है प्रतिदिन इस आसन के करने से गले की आवाज सुरीली हो जाती है। जिन लोगों को पांव में अत्यधिक गर्मी और ठंडी लगती है उन्हें इस आसन का अवश्य प्रयोग करते रहना चाहिए।
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