डर है कुछ न हो… कार्यपरिषद की बैठक रोकने की कवायद

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में दो दिन बाद होने वाली कार्य परिषद में कुछ दिग्गजों पर गाज गिरने की उम्मीद है। कार्रवाई होने के भय से कुछ डाक्टरों ने एक जुट होकर कार्यपरिषद कमेटी पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया है। इनका आरोप है कि कार्यपरिषद का कोरम ही पूरा नहीं है, इसके बाद भी ताबड़तोड़ फैसले कि ये जा रहे हैं। इतना ही नहीं कार्यपरिषद में हुए कुछ फैसलों को लेकर विश्वविद्यालय के डाक्टर न्याय के लिए न्यायालय की तैयारी कर रहे हैं।
बताते चले कि कार्यपरिषद में कुलपति अध्यक्ष होते हैं। इसकेअलावा कार्यपरिषद में प्रति कुलपति, फैकल्टी केडीन, दो वरिष्ठ प्रोफेसर अथवा जज की ओर से मनोनीत सदस्य, हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के वरिष्ठ जज, डीजीएमई, कुलपति की ओर से मनोनीत स्टेट मेडिकल कालेज के प्राचार्य, एसजीपीजीआई निदेशक, एम्स निदेशक, कुलपति की ओर से नामित दो रिटायर्ड प्रिंसिपल और दो प्रोफेसर, नेशनल अथवा इंटरनेशनल लेवल का एक मनोनीत सदस्य होता है।

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इन दिनों कार्यसमिति में हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज पंकज कुमार जायसवाल, एम्स निदेशक प्रो. रनदीप गुलेरिया, एसजीपीजीआई के निदेशक प्रोफेसर राकेश कपूर, डीजीएमई डा. केके गुप्ता के अलावा डेंटल डीन प्रोफेसर शादाब मोहम्मद, मेडिसिन फैकल्टी डीन प्रोफेसर विनीता दास, नर्सिंग फैकल्ट्री डा. मधुमति गोयल, फैकल्टी आफ पैरामेडिकल डीन डा. विनोद जैन के अलावा प्रोफेसर आशुतोष कुमार, प्रोफेसर प्रदीप टंडन शामिल हैं। प्रशासन ने इसमें प्रो. मधुमति गोयल और प्रो. विनोद जैन का कार्यपरिषद में कुछ दिन पहले किया गया है। बताते है कि जबकि एसजीपीजीआई निदेशक व एम्स निदेशक भी कार्यपरिषद की बैठकों में गायब रहे हैं। इसके बाद भी निर्णंय होते रहे है। इस बार कार्यपरिषद की बैठक की तारीख तय होते ही केजीएमयू के कई डाक्टर न्यायालय जाने की तैयारी में हैं।

उनका कहना है कि वह पहले की निर्णय बिना कोरम के बिना लिए लिया गया है, जोकि गलत है, क्योंकि कार्यपरिषद के फैसले बिना कोरम पूरा हुए ही लिए गए हैं। उधर केजीएमयू में यह भी चर्चा है कि इस बार कार्यपरिषद की बैठक में कुछ दिग्गज डाक्टरों पर कार्रवाई होना तय है। इसके डर से डाक्टरों ने बैठक से पहले ही कार्यपरिषद की बैठक को रोकने की तैयारी शुरू कर दी है।

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