लखनऊ। लगातार बढ़ते दबाव के बाद किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन ने आखिरकार रैगिंग के मामले की सोमवार को जांच शुरू हो गई है। कमेटी की बैठक में बुलाकर एक-एक मेडिकोज से पूछताछ की गयी। इसके अलावा परिजनों से भी बातचीत करके मनाने की कोशिश की गयी। नाराज परिजन रैंगिग के मामले में मुख्यमंत्री से शिकायत करने क लिए हस्ताक्षर अभियान चलाने के मूड में है। वही दूसरी तरफ आरोपी सीनियर मेडिकोज ने संयुक्त रूप से कमेटी को एक पत्र दिया है। इसमें रैगिंग में शामिल नहीं होने की सफाई देते हुए उन्हें कार्यवाही से निजात दिलाने का अनुरोध किया है।
केजीएमयू के जिम्मेदार अधिकारियों के तमाम दावों के बाद भी एक के बाद एक रैगिंग की घटनाएं होती जा रही हैं। 12 मई को हुई घटना की जानकारी मिलते ही केजीएमयू प्रशासन ने अपने बचाव के लिए जांच कमेटी गठित करने का दावा कर दिया था। एक हफ्ते तक कार्रवाई न होने पर आक्रोशित अभिभावकों ने मुख्यमंत्री से शिकायत करने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाने की चेतावनी दे दी थी। इस पर आनन- फानन में अपने दामन को बचाने के लिए सोमवार को जांच कमेटी की बैठक कर ली। इसमें पीड़ित मेडिकोज को बुलाकर के अलग-अलग बयान दर्ज किये गये। इस दौरान नाराज चल रहे परिजनों से भी बातचीत करके उनका नाराजगी शांत करने की कोशिश की गई।
दोषी पाये जाने पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दे दिया गया। लगभग चार घंटे चली बैठक में क मेटी के सदस्य अभी कोई फैसला नहीं कर पाये। चीफ प्रॉक्टर प्रो. आरएएस कुशवाहा का दावा है कि हमेशा की तरह रैगिंग की घटना को गंभीरता से लिया गया है। जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यदि आरोप सिद्ध हुआ तो दोषी मेडिकोज पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फि लहाल बताया जाता है कि आरोपी मेडिकोजों ने अभी तक हास्टल न खाली करते हुए एक पत्र लिखकर अपनी सफाई देते हुए माफ करने का अनुरोध किया है।
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