लखनऊ – डा. राममनोहर लोहिया संस्थान में मंगलवार को एक एेसे मरीज का किडनी प्रत्यारोपण किया गया, जिसकी जान बचाने के लिए उसकी मां ने अपनी किडनी दी। गोंडा के 25 वर्षीय युवक की दोनों की किडनी खराब हो गई थी। किडनी ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टरों ने उसे संस्थान में भर्ती कर लिया, लेकिन मरीज को डोनर नहीं मिला। युवक की तबीयत बिगड़ती जा रही थी, जिसको देखते हुए युवक की मां ने अपनी किडनी देने का फैसला किया। मंगलवार को यूरॉलजी और नफ्रोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने युवक की किडनी ट्रांसप्लांट किया। डॉक्टरों के मुताबिक ट्रांसप्लांट के बाद मरीज और डोनर दोनों की हालत बेहतर है। युवक की पिछले साल मई को उनकी शादी हुई। एक जुलाई को अचानक उनके पेशाब में जलन के साथ ही पेट में असहनीय पीड़ा हुई।
परिवारीजनों ने 2 जुलाई को लोहिया संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग में दिखायें, जहां जांच में युवक की दोनों किडनी खराब होने की पुष्टि हुई। डॉक्टरों ने 6 जुलाई को मरीज को भर्ती कर उसे डायलिसिस पर रखा गया। इसके बाद डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट के लिए डोनर तलाशते रहेए लेकिन डोनर नहीं मिला। युवक की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी। उसकी हालत उसकी मां से देखा नहीं गया। मां पूनम काल्पनिक नाम ने डॉक्टर से मिलकर किडनी ट्रांसप्लांट करने की बात कही। डॉक्टरों ने ब्लड जांच करवाया तो पता चला कि युवक और उसकी मां का ब्लड ग्रुप सेम हैं।
इसके बाद मंगलवार को यूरॉलजी और नेफ्रॉलजी विभाग के डॉक्टरों ने दूरबीन विधि से किडनी ट्रांसप्लांट किया। यह सर्जरी करीब पांच घंटे तक चली। नेफ्रोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ अभिलाष ने बताया कि सर्जरी के बाद मरीज और डोनर की हालत बेहतर है। डॉ अभिलाष ने बताया कि युवक की दोनों की किडनी असामान्य थीए जिसकी वजह से उसका ब्लड प्रेशर हमेशा हाई रहता है। बीपी हाई होने की वजह से किडनी जल्दी खराब हो गई। लिहाजा मरीज को छह माह तक भर्ती कर उसका डायलिसिस किया गया।
इन्होंने किया ट्रांसप्लांट
किडनी ट्रांसप्लांट टीम में डॉ ईश्वर, डॉ आलोक, डॉ संजीत, डॉ अभिलाष, डॉ नम्रता, डॉ दीपक मालवीय, डॉ सीके पांडेय, डॉ पीके दास और ओटी टेक्नीशियन अवधेश शामिल रहे।
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