लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रिचर्स तथा प्रोजेक्ट ही नहीं विदेश जाने वाले कार्यशाला में डाक्टर गड़बड़ कर रहे हैं। जल्द ही डेंटल यूनिट की श्रीलंका में हुए कार्यशाला में दूसरे विभाग के विशेषज्ञों को बिना आवश्यकता के सैर सपाटा करा दिया गया। यही नहीं बिल बना कर केजीएमयू के वित्त विभाग से भुगतान भी करा लिया गया। क्लीनिकल अपडेट के लिए देश-विदेशों में सेमिनार होते हैं। यहां भी विदेशों के डाक्टर आते है आैर यहंा से विदेशों के मेडिकल कालेज में जाकर बीमारियों या सर्जरी पर नयी जानकारी अर्जित करते है, ताकि मरीजों उच्चस्तरीय इलाज मुहैया कराया जा सके।
परन्तु केजीएमयू के कुछ डॉक्टर क्लीनिक अपडेट तो बहुत दूर है आैर उन्हें के विदेश सैर का माध्यम कार्यशाला बन रही है। बताया जाता है कि अभी हाल ही में श्रीलंका में डेंटल डिजीज अपडेट पर कार्यशाला हुई। इसमें केजीएमयू दंत संकाय के डॉक्टरों भी पहुंचे, परन्तु इनके साथ एनेस्थीसिया, विशेषज्ञ, गठिया, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ समेत दूसरे विभाग के डॉक्टर कार्यशाला में पहुंच गये। इसका खुलासा होने पर इन डॉक्टरों का तर्क है कि जब डेंटल की कार्यशाला में सभी विधाओ के डॉक्टर शामिल हो सकते हैं। इस पर कहा जा रहा है कि अन्य विद्याओं के विशेषज्ञ डेंटल क्लीनिकल अपडेट से किसका इलाज करेंगे। खुलासा होने पर यह भी पता चला कि श्रीलंका में कार्यशाला हुई, लेकिन उसके पंजीकरण का शुल्क केजीएमयू की एक डॉक्टर की संस्था के माध्यम से किया गया।
मजे की बात यह है कि जब कार्यशाला के आयोजक अध्यक्ष व सचिव श्रीलंका में थे। ऐसे में नियमानुसार पंजीकरण शुल्क भी वहीं जमा होना चाहिए। इसमें कहीं न कहीं दंत संकाय में संस्था की डॉक्टर की भूमिका संदेह के दायरे में आ गयी है। इस संबंध में केजीएमयू प्रशासन को सूचना अधिकार के तहत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जवाब मांगा है, लेकिन केजीएमयू का वित्त विभाग व अन्य जिम्मेदार अधिकारी जवाब देने से भी कतरा रहे हैं। केजीएमयू डेंटल यूनिट प्रवक्ता डॉ. पवित्र रस्तोगी का कहना है कि श्रीलंका में डेंटल डिजीज पर कान्फ्रेंस हुई थी। उसमें दांतों के अलावा दूसरी विधा के डॉक्टर भी गये थे ! इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। इस बारे में पता किया जाएगा।
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