केजीएमयू : शोध सहायक भर्ती के दस्तावेज में छेड़छाड़, जांच के आदेश

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में शोध सहायक की भर्ती में दस्तावेज से छेड़छाड़ का गंभीर मामला खुलासा हुआ है। यह आरोप दंत संकाय के प्रोस्थोडोन्टिक्स विभाग से जुड़ा है। इस मामले में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के निदेशक ने शोध सहायक के चयन के संबंध में केजीएमयू कुलपति को पत्र भेजकर छेड़छाड़ करने वाले डॉक्टर पर कार्रवाई की सिफारिश की है।

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केजीएमयू में शोध के लिए चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी से शोध की गुणवत्ता सवालों के घेरे में आ गई है। युवा वैज्ञानिक परियोजना के तहत कम्परेटिव एनालसिस्स ऑफ फंग्शनल लोडिंग विषय में शोध की जिम्मेदारी केजीएमयू दंत संकाय के प्रोस्थोडोन्टिक्स विभाग को दी गयी थी। इसके प्राचार्य व इनवेस्टीगेटर डॉ. कौशल किशोर अग्रवाल थे। इसके तहत शोध सहायक की भर्ती के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया गया। इसके लिए केजीएमयू रिसर्च सेल की तरफ से कमेटी बनाई गई। इसमें दंत संकाय के डॉ. पूरन चन्द्र, डॉ. दिव्या मेहरोत्रा, डॉ. राकेश कुमार यादव, डॉ. राजीव कुमार सिंह और डॉ. कौशल कुमार अग्रवाल शामिल थे। लगभग सात अभ्यर्थियों का साक्षात्कार हुआ। इनमें बीडीएस डिग्रीधारी का चयन हुआ। जब कि वेंटिग में दो बीडीएस अभ्यर्थी को रखा गया था।

परिषद के निदेशक अन्नावि दिनेश कुमार ने शोध सहायक के चयन के संबंध में केजीएमयू को चिट्ठी भेजी है। इसमें कहा कि चयन समिति की संस्तुति एवं 14 जून 2018 को रिसर्च सेल के माध्यम से भेजी चयन समिति की संस्तुति में अंतर पाया गया है। दोनों दस्तावेजों को देखकर ऐसा लगता है कि अभ्यर्थी राजन कुमार दुबे के लिए अभिलेखों में छेड़छाड़ की गई है। पत्र में यह भी कहा गया है कि परिषद ने भेजे गए पत्र को नामंजूर कर दिया था। इसके बावजूद दोबारा विज्ञापन निकालकर साक्षात्कार के माध्यम से राजन कुमार दुबे का चयन किया गया। साक्षात्कार में राजन कुमार दुबे बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र से हैं। कई अन्य अभ्यर्थी दंत विज्ञान क्षेत्र से थे। लिहाजा राजकीय अभिलेखों में छेड़छाड़ करने के लिए कार्मिक के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की संस्तुति की गयी है।

विशेषज्ञ लोगों का कहना है कि इससे केजीएमयू को शोध के लिए प्रोजेक्ट आदि मिलने में अड़चन आ सकती है।
केजीएमयू कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट का कहना है कि मामला गंभीर है। फर्जीवाड़ा करने के लिए राजकीय अभिलेखों में छेड़छाड़ गंभीर आरोप हैं। रिसर्च सेल को निर्देश दिए गए हैं जांच कमेटी गठित करने के लिए आैर इसके बाद सभी पहलुओं को देखा जाएगा।

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