समय से इलाज ही टीबी का निदान

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लखनऊ । टीबी की बीमारी एक संक्रामक बीमारी है जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है ,यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। फेफड़ों में होने वाली टीबी को पल्मोनरी टीबी कहा जाता है और जब यह शरीर के किसी दूसरे भाग में होती है तो इसे एस्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं,

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टीबी (क्षय) रोग कैसे फैलता है –

जब क्षय रोग से ग्रसित बोलता, खाँसता या छींकता है तब उसके साथ संक्रामक द्रोप्लेट न्यूक्लाई उतपान होते हैं , जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं प्र् यह बीमारी हवा के जरिये बहुत आसानी से फैलती है

टीबी का रोग क्यूँ होता है ?

टीबी का रोग जूठा खाने से, थूकने, छींकने, संक्रमित इंजेक्शन, रोगी दवारा उपयोग किए गए कपड़े, तौलिया इत्यादि से, गंदगी व सफाई न रखने से, शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने से व रोगी के संपर्क में रहने से फैलता है

टीबी रोग के क्या लक्षण हैं ?

टीबी रोग के लक्षण हैं -लगातार 2 हफ्तों तक खांसी आना और आगे भी जारी रहना, खांसी के साथ खून आना , वजन घटना, सीने ,में दर्द होना, गले में गिल्टी या या सूजन आना, शाम को बुखार आना या ठंड आना, सांस का फूलना आदि

टीबी की जांच कैसे कि जाती है ?

टीबी की जांच के लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं:

स्पुटम टेस्ट – माइक्रोस्कोप के उपयोग से मरीज के बलगम (स्पुटम) की जाती है लेकिन कुछ कारणों से इसमें गड़बड़ी की आशंका होती है प्र्
स्किन टेस्ट(मोंटेक्स टेस्ट) – इसमें इंजेक्शन द्वारा स्किन में दवा डाली जाती है जिससे कि 48-72 घंटे बाद पौसिटिव रिजल्ट होने पर टीबी की पुष्टि होती है प्र्
बायोप्सी और माइक्रोस्कोपिक जांच – इसमें जिस जगह पर गांठ या गिल्टी होती है वहाँ से इंजेक्शन द्वारा द्रव जांच के लिए निकाला जाता है और जांच के द्वारा पता चल जाता है कि उसमें टीबी के जीवाणु हैं या नहीं हैं प्र्
जीन एक्सपर्ट टेस्ट – इस टेस्ट की रिपोर्ट 2 घंटे में ही आ जाती है प्र् इस टेस्ट में बलगम का ही उपयोग किया जाता है प्र्
टीबी की रोकथाम
1. टीबी की रोकथाम व नियंत्रण के लिए मुख्य रूप से शिशुओं को बैसिलस कैल्मेट ग्युरिन (बीसीजी) का टीकाकरण कराना चाहिये
2. सक्रिय मामलों का पता लगने पर उनका इलाज किया जाना चाहिए प्र् इसका इलाज जितना जल्दी शुरू होगा, उतनी जल्दी ही रोग से निदान मिलेगा प्र्
3. टीबी रोग से संक्रमित रोगी को खाँसते समय मुंह पर कपड़ा रखना चाहिए या भीड़ भाड़ वाली जगह पर या बाहर नहीं थूकना चाहिए प्र्
4. साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए प्र्
5. ताजे फल, सब्जी और कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, वसायुक्त आहार का सेवन कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है प्र् अगर व्यक्ति कि प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है तो इस रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है।

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